बरेली हज सेवा समिति ने हज यात्रा व्यवस्था को और अधिक प्रभावी व जनहितकारी बनाने के लिए एक अहम सुझाव सरकार के समक्ष रखा है। समिति के संस्थापक पम्मी ख़ाँ वारसी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सर्किट हाउस में अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ एवं हज विभाग के राज्य मंत्री से भेंट कर हज यात्रा से जुड़ी समस्याओं और सुधारों को लेकर विस्तृत चर्चा की।
बैठक में पम्मी ख़ाँ वारसी ने मांग रखी कि हज यात्रियों की सेवा में तैनात किए जाने वाले ख़ुद्दामुल हुज्जाज (हज इंस्पेक्टर) की चयन प्रक्रिया में बदलाव किया जाए। उन्होंने कहा कि अब तक केवल सरकारी कर्मचारियों को ही इस ज़िम्मेदारी के लिए चुना जाता है, जबकि समाज में ऐसे कई समर्पित सेवाभावी, इमाम व अनुभवी हाजियों की बड़ी संख्या है जो वर्षों से हज यात्रियों की सेवा करते आ रहे हैं।
उन्होंने प्रस्ताव दिया कि हज इंस्पेक्टर के चयन में 40% कोटा गैर सरकारी सेवाभावियों के लिए आरक्षित किया जाए, ताकि जमीनी अनुभव रखने वाले लोग भी यात्रियों की सेवा में सहभागी बन सकें।
इसके साथ ही हज यात्रा को आम मुसलमानों के लिए और अधिक सुलभ एवं किफायती बनाने पर भी ज़ोर दिया गया। पम्मी ख़ाँ ने सुझाव दिया कि यदि हज फ्लाइट्स की टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी रूप से शुरू की जाए, तो इससे हज पैकेज की लागत में कमी लाई जा सकती है और अधिक से अधिक लोग हज यात्रा कर सकेंगे।
मुलाक़ात के दौरान समिति के पदाधिकारियों ने मंत्री को परंपरागत इत्र भी भेंट किया।
प्रतिनिधिमंडल में हज़रत सय्यद अमीर मियाँ, शहर इमाम मुफ़्ती खुर्शीद आलम, मुफ़्ती सय्यद क़फ़ील हाशमी, हाजी यासीन क़ुरैशी, हाजी सय्यद असद अली, हाजी कम्बर हुसैन, हाफ़िज़ अतीक हुसैन, हाजी फैसल शम्सी, नजमुल एसआई खान सहित कई गणमान्य लोग शामिल रहे।
प्रतिनिधिमंडल की यह पहल हज व्यवस्था को और अधिक समावेशी एवं सेवाभावी बनाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
