संजीव मेहरोत्रा, महामंत्री बरेली ट्रेड यूनियंस फेडरेशन
बरेली। हाल के वर्षों में आईटी सेक्टर, जिसे कभी युवाओं के लिए सबसे सुरक्षित करियर माना जाता था, अब संकट से गुजर रहा है। रोजगार के अवसरों में लगातार कमी आ रही है और इंजीनियरिंग के नामी संस्थानों जैसे आईआईटी से पास होने वाले छात्रों को भी उपयुक्त नौकरी मिलना मुश्किल हो रहा है।
फ़ोटो में संजीव मेहरोत्रा
विशेषज्ञों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के तेजी से बढ़ते प्रयोग ने इस स्थिति को और गंभीर बना दिया है। एआई के कारण कई पारंपरिक नौकरियां खत्म हो रही हैं। एक अमेरिकी अध्ययन के अनुसार, आईटी क्षेत्र में करीब 13% की गिरावट दर्ज की गई है।
हाल ही में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) द्वारा 12,000 कर्मचारियों की छंटनी ने इस संकट को और उजागर किया है। इसके चलते युवाओं में निराशा बढ़ने लगी है। कभी सरकारी नौकरी के बाद आईटी सेक्टर को दूसरा सबसे बड़ा विकल्प माना जाता था, लेकिन अब यह धारणा तेजी से बदल रही है।
विश्लेषकों का कहना है कि बदलती आर्थिक नीतियां भी इस गिरावट का कारण हैं। अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में आई खटास से आईटी सेवाओं की मांग प्रभावित हुई है। 1998 से शुरू हुए इस क्षेत्र में वर्तमान समय में लगभग 57 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन नौकरियों में लगातार कमी परिवारों और युवाओं की उम्मीदों पर भारी पड़ रही है।
माता-पिता बच्चों को कंप्यूटर साइंस पढ़ाने के लिए लाखों रुपये का लोन लेकर अच्छे कॉलेजों में भेजते हैं ताकि उन्हें कैंपस प्लेसमेंट मिल सके, लेकिन मौजूदा हालात में यह भी चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। अब देखना है कि टेक्नोलॉजी सेक्टर की स्थिति कब और कैसे सुधरती है।
