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स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित भोजन से ही डायबिटीज का इलाज संभव

बरेलीः डायबिटीज पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। आज बुजुर्गों के साथ ही युवा वर्ग भी इसकी चपेट में है। दूसरी गंभीर बीमारियों को जन्म देने वाली इस बीमारी की रफ्तार को स्वस्थ व सक्रिय जीवनशैली, पौष्टिक व संतुलित भोजन से कम किया जा सकता है। या जीवनशैली से होने वाली डायबिटीज जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। क्योंकि इलाज से ज्यादा बीमारी से बचाव ज्यादा जरूरी है।
एसआरएमएस मेडिकल कालेज में शुक्रवार को आयोजित दूसरी सीएमई एसआरएमएस डायबिटीज कांक्लेव 2024 में विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हुए। सीएमई में एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी ने खुद का उदाहरण देते हुए सभी को डायबिटीज की रोकथाम और बचने के लिए स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली अपनाने पर जोर दिया। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे 1994 में डायबिटीज का पता चला था, तब से 30 वर्ष हो गए डायबिटीज का मरीज हूं। रोजाना 12-14 घंटे काम करता हूं, कभी थकान नहीं होती। डायबिटीज होने के बाद भी आप भी स्वस्थ रह सकते हैं। बस अपने खानपान को नियंत्रित करें। समय निकाल कर व्यायाम करें, सक्रिय जीवन शैली अपनाएं। डायबिटीज आपके कंट्रोल में रहेगी। सच कहा जाए तो डायबिटीज आपको जीना सिखाती है।
एपीआई बरेली चैप्टर के तत्वावधान में और क्लीनिकल कार्डियो डायबिटीज सोसाइटी आफ इंडिया (एसीसीडीएसआई) के संग एसआरएमएस मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग की ओर से शुक्रवार (13 दिसंबर 2024) को दूसरी सीएमई एसआरएमएस डायबिटीज कांक्लेव 2024 का आयोजन हुआ। इसमें मेडिकल कांसेप्ट्स इन हिंदी के संस्थापक गाजियाबाद के डीएम इंडोक्राइनोलाजिस्ट डा.पंकज अग्रवाल ने हाइपोथाइरोडिज्म की गंभीर स्थिति वाले मरीजों के उपचार पर व्याख्यान दिया।
उन्होंने विद्यार्थियों को भविष्य के बेहतर चिकित्सक बनने पर भी जोर दिया। कहा कि हमेशा अगली परीक्षा की तैयारी करने के बजाय कांसेप्ट पर काम करना जरूरी है। इसके लिए भले अतिरिक्त प्रयास करना पड़े लेकिन यह विकास के लिए जरूरी है। डा.पंकज ने मेडिकल की पढ़ाई अपनी मातृभाषा में करने पर भी जोर दिया। कहा कि जब हम हिंदी में सोचते हैं, समझते हैं, बोलते हैं। यहां तक कि सपने भी हिंदी में ही देखते हैं तो फिर इंग्लिश में ऐसा क्या जादू है कि मेडिकल के लैक्चर इंग्लिश में दिए जाएं। इसकी पढ़ाई इंग्लिश में की जाए। इसके लिए भाषाई अड़चन ठीक नहीं। उन्होंने कहा कि चीजों को जितना सरल रखेंगे भविष्य में उतना ही बेहतर डाक्टर बनेंगे। केजीएमयू के पूर्व विभागाध्यक्ष व हिंद मेडिकल कालेज सीतापुर के प्रिंसिपल डा.नरसिंह वर्मा ने आनलाइन व्याख्यान में डायबिटीज के वैश्विक आंकड़ों को सभी के सामने रखा। उन्होंने कहा कि अभी तक इसके उपचार के लिए आदर्श दवा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में दवाइयों के साथ ही हमें पारंपरिक तरीकों पर भी ध्यान देना चाहिए। जीवनशैली को परिवर्तित कर स्वास्थ्य समस्याओँ को काफी हद तक कम किया जा सकता है। डायबिटीज के उपचार के लिए एक्सरसाइज को नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और अच्छी नींद लें। सूरज को फालो करें। उसके निकलने से पहले उठें। सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले ही भोजन करें। निवाले को 32 बार चबाएं। इसके साथ ही नियमित जांच करवाना भी जरूरी है।
हमें डायबिटीज है या नहीं, यह छोड़ कर जांच जरूर करवाते रहें। एसआरएमएस मेडिकल कालेज में मेडिसिन विभागाध्यक्ष व कार्यक्रम की आर्गनाइजिंग चेयरमैन प्रोफेसर (डा.) स्मिता गुप्ता डायबिटीज में मस्कुलर स्केलेटन कांप्लीकेशन पर व्याख्यान दिया। सीएमई के आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी एसोसिएट प्रोफेसर डा.दीपक दास डायबिटीज से जुड़े मिथकों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विश्व में तेजी से फैल रही यह बीमारी हिंदुस्तान में भी हर उम्र के लोगों को अपना शिकार बना रही है। इसके लिए अनियमित और निष्क्रिय दिनचर्या के साथ ही असंतुलित खानपान जिम्मेदार है।
डा.दास ने डायबिटीज में न्यूट्रीशन पर जोर दिया और भोजन में प्रोटीन, फाइबर को बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने फास्टफूड को छोड़ने के साथ ही खाने में नमक का कम से कम इस्तेमाल करने और दालें, सब्जियों को अधिक से अधिक भोजन में शामिल करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सक्रिय जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। डीएम एंडोक्राइनोलाजी व एसोसिएट प्रोफेसर डा.श्रुति शर्मा ने डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों पर व्याख्यान दिया। डीएम गैस्ट्रोइटेरोलाजी व असिस्टेंड प्रोफेसर डा.प्रफुल्ल सिंह ने गैस्ट्रोपैरेसिस में डायबिटीज मरीज के उपचार पर अपनी बात रखी।
इस मौके पर एसआरएमएस मेडिकल कालेज के डायरेक्टर आदित्य मूर्ति, ट्रस्ट एडवाइजर इंजीनियर सुभाष मेहरा, प्रिंसिपल एयरमार्शल (सेवानिवृत्त) डा.एमएस बुटोला, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा.आरपी सिंह, एपीआई बरेली चैप्टर के अध्यक्ष राजीव गुप्ता, सेक्रेटरी डा.सचिन अग्रवाल, डीन पीजी डा.रोहित शर्मा, डीन यूजी डा.बिंदू गर्ग, डा.केएम झा, डा.ललित सिंह, डा.अमरेश अग्रवाल, डा.विद्यानंद, डा.एमके मेहरोत्रा, डा.वंदना नेगी, डा.हुमा खान, डा.तनु अग्रवाल, डा.क्रांति कुमार, डा.दर्शन मेहरा, अन्य फैकेल्टी मेंबर, पीजी और यूजी विद्यार्थी मौजूद रहे ।

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