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डॉक्टर विपिन से समझिए सनातन धर्म में बसंत पंचमी का महत्त्व

डॉ विपिन शर्मा

सनातन धर्म में बसंत पंचमी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. यह पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. यह वह दिन होता है, जबसे ऋतु अपना परिवर्तन करती है और सर्दी-गर्मी के बीच का सुहावना मौसम शुरू हो जाता है. इस ऋतु में खेत सरसों की पीली फसल से पट जाते हैं. इस दिन देशभर के स्कूल-कॉलेजों में ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. लोग पीले वस्त्र धारण कर मां सरस्वती को पीले या केसरिया रंग के फल-फूल, वस्त्र और भोग अर्पित करते हैं. इस बार बसंत पंचमी पर प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ का चौथा अमृत स्नान भी है. जिसमें करोड़ों लोग संगम में डुबकी लगाएंगे.

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कहते हैं कि बसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थीं. मां सरस्वती को कला, बुद्धि और संगीत की देवी कहा जाता है. उनके एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर देने की मुद्रा में है. मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की आराधना करने से परिवार को उनका आशीर्वाद मिलता है और जातक में ज्ञान-बुद्धि का भंडार मजबूत होता है.

 

बसंत पंचमी के दिन क्या करें?

बसंत पंचमी वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उगते सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें. अर्घ्य के पश्चात पीले वस्त्र धारण करें और फिर विधि-विधान से मां सरस्वती का पूजन शुरू करें. इस पूजन में मां सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र, भोग और पुष्प अर्पित करें. मां सरस्वती को पीला रंग बहुत प्रिय है. इसलिए उन्हें भोग में पीले मीठे चावल जरूर चढ़ाएं. आप चाहें तो इसकी जगह केसर युक्त खीर भी बना सकते हैं. इसके साथ ही उन्हें हल्दी की गांठ भी चढ़ाएं. बसंत पंचमी वाले दिन अपने बही खाते, पेन-पेपर और दूसरे रजिस्टरों की पूजा करें. ऐसा करने से दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की होती है.

बसंत पंचमी के दिन क्या न करें?

बसंत पंचमी के दिन पेड़-पौधों को भूलकर भी न काटें. असल में इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, जो प्रकृति के लिए समर्पित है. ऐसे में अगर आप उस दिन पेड़-पौधे काटेंगे तो यह प्रकृति का अपमान माना जाएगा. बसंत पंचमी वाले दिन गलती से भी मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से अशुभ परिणाम भुगतने पड़ते हैं. इसके बजाय उस दिन व्रत करें या फिर शुद्ध-सात्विक भोजन ग्रहण करें. इस दिन अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और किसी के प्रति भी कठोर वचन बोलने से बचें.

 

मां सरस्वती को समर्पित है बसंत पंचमी का त्योहार

ज्ञान और बुद्धि की देवी मानी जाती हैं मां सरस्वती।यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का संकेत भी है.बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान पर चौकी रखें और इसपर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। पूजा में देवी को पीले रंग के वस्त्र, पीले या सफेद फूल, रोली, केसर, चंदन, और अक्षत आदि सामग्री अर्पित करें।
भोग के रूप में मां सरसवती को पीले चावल, फल, मिठाई या फिर बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। आप पूजा स्थल पर शिक्षा से संबंधित सामग्री जैसे किताबें, कलम आदि के साथ-साथ वाद्य यंत्र आदि भी रख सकते हैं। सरस्वती जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और आरती व उनके मंत्रों का जप करें। अंत में सभी लोगों में प्रसाद बांटें।

 

बसंत पंचमी से पहले ये ग्रह बदलेंगे चाल

वैदिक ज्योतिष की गणितीय गणना के अनुसार, मंगलवार 28 जनवरी, 2025 को 07:12 AM बजे शुक्र मीन में प्रवेश करेंगे, जबकि बृहस्पतिवार 30 जनवरी, 2025 को 10:09 PM बजे से बुध का श्रवण में गोचर होगा। फिर शुक्रवार 31 जनवरी, 2025 को 04:26 AM से बजे सूर्य और गुरु 120 डिग्री पर अवस्थित होकर नवपंचम योग का निर्माण करेंगे। इसके बाद बसंत पंचमी से एक दिन पहले यानी शनिवार 1 फरवरी, 2025 को 08:37 AM बजे शुक्र ग्रह शनि के स्वामित्व वाले उत्तराभाद्रपद में प्रवेश कर अपनी चाल बदलेंगे। इन 3 ग्रहों यानी शुक्र, बुध और शनि की कृपा से 5 राशियों की भाग्य चमक सकता है। इन्हें हर फील्ड में सफलता मिलेगी और ये जहां हाथ लगाएंगी, वहीं पर बरकत होगी और धन बरसेगा।

5 राशि: मेष, सिंह, तुला, धनु और मीन

बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती को समर्पित होता है। इस दिन उनकी पूजा करने एवं विशेष मंत्रों का जाप करने से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। देवी मां को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में दिए गए उपाय कारगर साबित हो सकते हैं।
1.जिन बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है उन्हें बसंत पंचमी के दिन ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वतैय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे बच्चे का दिमाग कम्प्यूटर से भी ज्यादा तेज हो जाएगा।
2.विद्या और बुद्धि की प्राप्ति के लिए बसंत पंचमी के दिन अपने घर के पूजा स्थान पर सरस्वती यंत्र की स्थापना करें। अब रोजाना पढ़ाई करने से पहले इस यंत्र को नमस्कार कर लें।
3.अगर आपकी कोई मनोकामना पूर्ण नहीं हो पा रही है तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के सिर पर मोरपंख रख दें। पूजन के अगले दिन इस मोरपंख को संभालकर अपने पास रख लें। इससे आपका काम बन जाएगा।
4.बसंत पंचमी के दिन सुबह हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर नहाने से देवी मां प्रसन्न होती हैं। इससे आपका भाग्य भी मजबूत होगा।
5.इस दिन पीले वस्त्र पहनें एवं भोजन में पीली चीजों का सेवन करें। बसंत पंचमी को तहरी खाने का विशेष प्रचलन है।
6.बसंत पंचमी को मां सरस्वती के अलावा श्रीकृष्ण की पूजा से भी लाभ मिलता है। इसलिए कृष्ण भगवान के मंदिर में बसंत पंचमी को पान और बांसुरी चढ़ाने से आपको मनचाहा पार्टनर मिलेगा।
7.बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को पीले वस्त्र पहनाएं एवं पीले पुष्प अर्पित करें। साथ ही बेसन का लड्डू चढ़ाएं। इससे देवी मां प्रसन्न होंगी।
8.इस दिन ब्राम्हणों को पुस्तक भेंट करने से ज्ञान की वृद्धि होती है। साथ ही पीले रंग का अनाज दान करने से घर में अन्न और धन की वृद्धि होती है।
9.जो लोग तुतलाते या हकलाते हैं उन्हें बसंत पंचमी को देवी मां को शहद चढ़ाना चाहिए। अब रोजाना नहाने के बाद इस शहद को चाटना चाहिए। इससे जल्द ही समस्या दूर हो जाएगी।
10.मां सरस्वती की कृपा पाने के लिए उनके किसी भी सिद्ध मंत्र की एक माला का जाप करें। साथ ही सरस्वती जी को मोरपंखी चढ़ाएं। इससे बृद्धि का विकास होगा।

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