फरीदपुर में पोस्टमार्टम के बाद शव को दफनाया गया
फतेहगंज पूर्वी में शिकारियों के चंगुल से बचकर निकले राष्ट्रीय पक्षी मोर की इलाज के दौरान मौत हो गई। राहगीरों ने उसे देखकर वन विभाग को सूचना दी थी। वन कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर उसे अस्पताल ले गए लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी।
मंगलवार शाम ग्राम पढ़ेरा के जंगल में शिकारियों ने उसे निशाना बनाया था। मोर को पकड़कर उसका वध करने के लिए उसके पर नोच दिए। इसी दौरान मोर फड़फड़ा कर भाग निकला। शिकारी उसके पीछे दौड़े तब तक मोर को कुत्तों ने दौड़ाया। रास्ते से गुजर रहे गांव के नरदेव गौड़, राजेश, पवन शर्मा आदि ने घायल मोर को देखकर कुत्तों से बचाकर मोर को पकड़ा और गांव ले आए जहां वन विभाग की टीम को सूचना दी तो वन क्षेत्राधिकारी वैभव चौधरी टीम के साथ गांव पहुंच गए जिन्होंने मोर का प्राथमिक उपचार कर अपने कब्जे में ले लिया। वन क्षेत्राधिकारी ने बताया कि मोर को आईवीआरआई बरेली भेजने की तैयारी चल रही थी लेकिन उससे पहले ही उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद उसका शव दफना दिया गया। बता दें कि बीते एक वर्ष पूर्व शिकारियों ने ग्राम शिवपुरी के जंगल में भी राष्ट्रीय पक्षी मोर को मारा था। लोगों के पहुंच जाने पर वह मोर के शव को लेकर भाग गए थे। आए दिन शिकारी राष्ट्रीय पशु पक्षियों का शिकार कर रहे हैं और बेलगाम घूम रहे हैं जिससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
कृष्ण जन्माष्टमी के लिए मोर पंखी बेचने के लिए कर रहे शिकार
कृष्ण जन्माष्टमी नजदीक है। उस दिन मोर पंख की खूब बिक्री होती है। लोग पूजा और भगवान श्री कृष्ण के श्रृंगार के लिये महंगे दामों पर पंख खरीदते हैं। इसलिए मोर पंख का शिकार किया जा रहा है। हालांकि, वन विभाग की टीम शिकारियों पर नजर रख रही हैं। फिर भी शिकारी टीम को चकमा देकर अपने इरादों में कामयाब हो रहे हैं।
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