शाहजहांपुर। एसएस कॉलेज के वाणिज्य विभाग में शोध प्रस्ताव की तैयारी पर चल रही कार्यशाला के पांचवे में दिन हिंदू कॉलेज मुरादाबाद के प्रोफेसर संजय रस्तोगी ने बोलते हुए कहा की जितना महत्वपूर्ण शोध समस्या का चयन होता है उतना ही महत्वपूर्ण शोध क्षेत्र का निर्धारण भी होता है । शोध क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत होने पर शोध कार्य सही प्रकार से नहीं हो पता है और शोध क्षेत्र बहुत छोटा होने पर उसकी उपयोगिता सीमित हो जाती है। इसलिए शोध क्षेत्र का आकार उपयुक्त होना चाहिए। ऐसा होने पर ईमानदारी से शोध करना संभव होता है और शोध से प्राप्त निष्कर्षों से सामान्य सिद्धांतों का निर्माण भी संभव होता है । उन्होंने कहा की शोध कार्य यदि द्वितीय समंको पर आधारित है तो संकलन के स्रोत प्रमाणिक होने चाहिए और यदि शोध प्राथमिक समंको पर आधारित है तो समंको के संकलन की विधि पक्षपात रहित होनी चाहिए । समंको का संकलन शोध के उद्देश्य के अनुसार होना चाहिए। ऐसा होने पर निष्कर्षों की सत्यता बढ़ जाती है। डॉ रस्तोगी ने कहा की समंकों के विश्लेषण में आधुनिक सॉफ्टवेयर और संकलन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकी का प्रयोग भी किया जा सकता है । अपर्णा त्रिपाठी के संचालन में हुए कार्यक्रम के अंत में डॉ देवेंद्र सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया । कार्यक्रम के संयोजन में डॉ संतोष प्रताप सिंह डॉक्टर अखंड प्रताप सिंह, पोथी राम और मोहनी शंकर का विशेष सहयोग रहा ।
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