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कैंसर के इलाज को लेकर मैक्स हॉस्पिटल साकेत ने आयोजित किया जागरूकता सत्र, केंसर से बचाव के बताये उपाय

बरेली। कोलैबोरेटिव डिजीज मैनेजमेंट के महत्व पर प्रकाश डालने, एडवांस ट्रीटमेंट मेथड्स और अर्ली डायग्नोसिस के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत (नई दिल्ली) ने आज एक सत्र आयोजित किया।इस मौके पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत में कैंसर केयर (ऑन्कोलॉजी), बोन मैरो ट्रांसप्लांट के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर रयाज़ अहमद, जीआई सर्जरी के डायरेक्टर डॉक्टर असित अरोड़ा, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉक्टर दोदुल मंडल ने कैंसर के इलाज में हुई हालिया प्रगति के बारे में जानकारी साझा की।
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बोन मैरो ट्रांसप्लांट प्रक्रिया और सीएआर-टी सेल थेरेपी में हुए एडवांसमेंट के बारे में मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत में कैंसर केयर/ऑन्कोलॉजी, बोन मैरो ट्रांसप्लांट के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर रयाज़ अहमद ने बताया, ”जो लोग परंपरागत तरीके से इलाज कराते-कराते थक जाते हैं उन मरीजों के लिए सीएआर-टी सेल थेरेपी एक बड़ा रोल निभाता है. इसे लिविंग ड्रग भी कहा जाता है. ये थेरेपी उन मरीजों के लिए बहुत ही लाभकारी होती है जिनका एलोजेनिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट या पोस्ट ट्रांसप्लांट रिलैप्स नहीं हो पाता. परंपरागत थेरेपी की तुलना में इसमें एक संक्षिप्त, सिंगल इंफ्यूजन ट्रीटमेंट दिया जाता है जिससे करीब दो हफ्तों के अंदर ही मरीज की हालत में सुधार आ जाता है. ये शानदार थेरेपी जानलेवा बीमारी के खिलाफ लड़ाई में काफी मददगार रहती है और ऐसे मामलों में उम्मीद देती है जहां इलाज के परंपरागत तरीके हल्के पड़ जाते हैं।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत में जीआई सर्जरी के डायरेक्टर डॉक्टर असित अरोड़ा ने रोबोटिक और मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाओं से इलाज के बारे में बताया,* ”टेक्नोलॉजी में एडवांसमेंट होने से मिनिमल एक्सेस कैंसर सर्जरी आम हो गई है. जीआई ट्रैक्ट कैंसर वाले मरीजों के इलाज में परंपरागत सर्जरी की तुलना में मिनिमली इनवेसिव सर्जरी से बहुत तरह के लाभ मिलते हैं. इसमें दाग कम आते हैं, मरीज की रिकवरी तेजी से होती है, दर्द कम होता है, अस्पताल में कम वक्त भर्ती रहना पड़ता है और सर्जरी के बाद कॉम्प्लिकेशंस कम होते हैं । द विंची रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी जैसी एडवांस तकनीक की मदद से इस तरह की सर्जरी ज्यादा प्रभावी ढंग से करने में सक्षम हैं, जिसमें ऑपरेशन के बाद कम देखभाल करनी पड़ती है और मरीज की तेजी से रिकवरी होती है।
महामारी के बाद रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल बढ़ गया है, क्योंकि इसमें अस्पताल में कम वक्त भर्ती रहना पड़ता है और सर्जरी के बाद की जटिलताएं कम होती हैं।मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉक्टर दोदुल मंडल ने कैंसर मरीज के जीवन में रेडिएशन ट्रीटमेंट की भूमिका के बारे में कहा ”करीब 60-70% कैंसर मरीजों को अपनी कैंसर यात्रा के दौरान किसी न किसी मौके पर रेडिएशन की आवश्यकता होती है. कैंसर पर अच्छे से कंट्रोल करना इस बात पर निर्भर करता है कि एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट कितनी स्किल्ड और कितनी सावधानी से वो इसका इस्तेमाल करता है । कई तरह की नॉन-कैंसरस स्थितियों का इलाज करने में रेडिएशन महत्वपूर्ण रोल निभाता है।
नई मशीनों और तकनीकों जैसे टोमोथेरेपी (रेडिजैक्ट-एक्स9), आईजीआरटी, वीएमएटी, रेपिडआर्क, रेडियो सर्जरी, स्टीरियोटेक्टिक रेडिएशन, प्रोटोन बीम थेरेपी जैसे विकल्पों के आने से सटीक इलाज हो पा रहा है और साइड इफेक्ट्स भी कम होते हैं। इनकी मदद से मरीज के इलाज और उनके जीवन में सुधार की संभावनाएं बढ़ गई हैं ।मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत में इनमें से लगभग सभी तरह की एडवांस रेडिएशन मशीनें और तकनीक उपलब्ध है जिनकी मदद से सभी तरह की संभावित कैंसर और नॉन-कैंसरस मरीजों का इलाज किया जा रहा है।तकनीकी प्रगति के साथ मिनिमल एक्सेस कैंसर सर्जरी आम बन गई है. लोगों को अभी भी जागरूक होने की आवश्यकता है, कि ऑन्कोलॉजी में हालिया प्रगति के साथ, कैंसर पूरी तरह से इलाज योग्य है। कैंसर का शुरुआती स्टेज में डायग्नोज होने से न सिर्फ जीने के चांस बढ़ जाते हैं बल्कि इससे जीवन में भी सुधार आता है।

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