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जानिए बदलते हुए दौर में एक महिला क्या सोचती है, पढ़े यह कविता

दीपशिखा,

नव दुर्गा से बना ये प्रकृति ।
हर ओर छाया है उनकी आकृति ।।

मंत्र हवन अर्चना से होते पूजन ।
सच्चे भाव ही है इनका भोजन ।।

धरा की शक्ति का करें बुरा हाल ।
आदिशक्ति से मांगे है वरदान ।।

मेले की धूम में सितारों की चमक ।
इसमें क्यों है महिला छेड़खानी का दीमक ।।

भजन से मन को शुद्ध कर लो ।
नवरात्री में मन को नया जन्म दिलाओ ।।

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