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बरेली की ऐतिहासिक रामलीला : श्री राम ने किया ताड़का वध ,

 

बरेली। ब्रहमपुरी में रामलीला में बीते दिन विश्वामित्र आगमन की कथा का मंचन हुआ था जिसमें विश्वामित्र जी राजा दशरथ जी के समक्ष कहा कि जब भी वो यज्ञ करते हैं तो उनकी यज्ञवेदी पर रुधिर- मांस फेंककर मारीच और सुबाहु नामक दो राक्षस विघ्न उत्पन्न करते हैं। व्रत के नियमानुसार वे किसी को शाप नहीं दे सकते, अतः उनका नाश करने के लिए वे राम – लक्ष्मण को साथ ले जाना चाहते हैं।

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आज की लीला में दिखाया गया कि यज्ञ की निविघ्नता के लिए राम और लक्ष्मण ने छह दिन तक रात-दिन पहरा देने का निश्चय किया। विश्वामित्र का यज्ञ सिद्धाश्रम में चल रहा था। पांच दिन और रात बीतने के उपरांत अचानक उन्होंने देखा कि यज्ञ वेदी पर सब ओर से आग जलने लगी है और रुधिर की वर्षा हो रही है। आकाश में मारीच और सुबाहु को देख राम- लक्ष्मण ने युद्ध आरंभ किया। दोनों ने ताड़का- सुबाहु तथा उनके साथियों को मार डाला तथा राम ने मारीच को मानवास्त्र के द्वारा उड़ाकर सौ योजन दूर एक समुन्द्र में फेंक दिया।

 

लीला में दूसरा मंचन आज अहिल्या उद्धार का रहा जिसमें कथाकार व्यास गुरु मुनेश्वर जी द्वारा बताया गया कि राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिलापुरी के वन उपवन आदि देखने के लिये निकले तो उन्होंने एक उपवन में एक निर्जन स्थान देखा। जिसके विषय में विश्वामित्र जी ने बताया कि यह स्थान कभी महर्षि गौतम का आश्रम था। वे अपनी पत्नी अहिल्या के साथ यहाँ रह कर तपस्या करते थे। एक दिन जब गौतम ऋषि आश्रम के बाहर गये हुये थे तो उनकी अनुपस्थिति में इन्द्र ने गौतम ऋषि के वेश में आकर अहिल्या से प्रणय याचना की। अहिल्या ने इन्द्र को पहचान लिया और प्रणय हेतु अपनी स्वीकृति नहीं दी।

 

 

जब इन्द्र अपने लोक लौट रहे थे तभी अपने आश्रम को वापस आते हुये गौतम ऋषि की दृष्टि इन्द्र पर पड़ी जो उन्हीं का वेश धारण किये हुये था। क्रोधवश उन्होंने इन्द्र को श्राप दे दिया और बिना विचार किए अपनी पत्नी को भी श्राप दिया कि तू पत्थर बन हजारों वर्षों तक केवल हवा पीकर कष्ट उठाती हुई यहाँ राख में पड़ी रहे। जब राम इस वन में प्रवेश करेंगे तभी उनकी कृपा से तेरा उद्धार होगा। तभी तू अपना पूर्व शरीर धारण करके मेरे पास आ सकेगी। विश्वामित्र से आज्ञा पाकर तब राम ने अहिल्या को तारना चाहा किंतु सूर्य वंश में स्त्री को पैर से छूना मना था। राम की यह दुविधा देख पवन देव ने अपने झोकों से प्रभु के चरणों की धूल को पत्थर पर डाल दिया। चरण रज पाते ही पत्थर नारी हो गई। अहिल्या के प्रकट होते ही वहां अनेक देव गण पहुंच गए और भगवान राम का जयघोष करने लगे।

आज की लीला में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ विनोद पागरानी एवं विशिष्ट अतिथि इंद्रदेव त्रिवेदी, डॉ शशांक शुक्ला, महेन्द्र पाल सिंह, जनार्दन आचार्य, शिवम रस्तोगी (युवा महामंत्री ), सुमित रस्तोगी, धीरज दीक्षित ने स्वरूपों की आरती उतार प्रभु का आशीर्वाद लिया। प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि कल श्री राम -लक्ष्मण को नगर दिखाना व फूल बगिया दिखाना की लीला का मंचन होगा।

अन्य गणमान्य लोगों में महेश पंडित, सत्येंद्र पांडेय, पंकज मिश्रा, गौरव सक्सेना, अंशु सक्सेना, राजू मिश्रा, राजकुमार गुप्ता, विवेक शर्मा, अखिलेश अग्रवाल, नीरज रस्तोगी, लवलीन कपूर, दिनेश दद्दा, कौशिक टण्डन, संजीव रस्तोगी, हरिशंकर लोधी, दिनेश गौड़, अंकित रस्तोगी आदि उपस्थित रहे।

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