एडीशनल कमिश्नर इनकम ज्योत्स्ना देवी, देव मूर्ति जी, आदित्य मूर्ति जी ने किया दीप प्रज्वलन
बरेलीः एसआरएमएस रिद्धिमा के प्रेक्षागृह में फोर्थ थिएटर फेस्टिवल रंग महोत्सव इंद्रधनुष 2024 के तीसरे दिन मंगलवार (15 अक्टूबर 2024) की शाम एकलव्य थिएटर देहरादून ने अखिलेश नारायण के निर्देशन में नाटक ‘किस्मत पैलेस’ का मंचन हुआ।
नाटक की शुरुआत फिल्म निर्माता और निर्देशक जय सिंह ऐडनवाला से होती है, जो नशे में गाड़ी चलाने के कारण दुर्घटना का शिकार हो जाता है। उसे एक युवक सुभाष कुमार मौत से बचा लेता है और उसे घर छोड़ने जाता है। बंगले पर पहुंचने के बाद जय सिंह सुभाष को धन्यवाद देने के लिए अंदर बुलाते हैं।
अपनी पत्नी मल्लिका से मिलवाते हैं और उसे अपना ड्राइवर बना लेते हैं। लेकिन मल्लिका इस फैसले को पसंद नहीं करती और चोरी के आरोप में फंसाकर सुभाष को घर से निकालने की कोशिश करती है। हालांकि सुभाष की बुद्धिमत्ता के चलते वह सफल नहीं होती। कर्ज में डूबे जय सिंह को मारकर मल्लिका उसके लाइफ इंश्योरेंस का 24 करोड़ रुपये हासिल करना चाहती है। ऐसे में जय सिंह सुभाष और मल्लिका को बुलाता है और सुभाष को एक पत्र देता है और मल्लिका को अपनी बीमा पॉलिसी में किए गए एक छोटे से बदलाव के बारे में बताता है। पॉलिसी की शर्तों के अनुसार, बीमा राशि का दावा केवल तभी किया जा सकता था, जब ऐडनवाला की हत्या हो जाए और वह खुद को मार न ले। ऐडनवाला कहता है कि उसे पता है कि मल्लिका उसकी आत्महत्या को हत्या दिखाने की कोशिश करेगी। यह कहते हुए, वह खुद को गोली मार लेता है। मल्लिका पुलिस को बुलाने के लिए दौड़ती है, लेकिन सुभाष उसे समझाता है कि वे दोनों मिलकर उसकी आत्महत्या को हत्या साबित कर सकते हैं। सुभाष इस शर्त पर उसके साथ सहयोग करने की पेशकश करता है कि वे बीमा राशि को आधा-आधा बांट लेंगे।
मल्लिका शुरू में झिझकती है लेकिन अंततः सुभाष की पेशकश स्वीकार कर लेती है जब वह उस पत्र का खुलासा करता है जिसे उसे लीगल एडवाइजर एडवोकेट मर्चेंट को देने के लिए कहा गया था, जिसमें दावा किया गया है कि ऐडनवाला ने मर्चेंट से मल्लिका को जेल से रिहा करने के लिए कहा था यदि वह उसकी मौत को हत्या साबित करने में सफल हो जाती है, और फिर बीमा कंपनी को पत्र दे देना ताकि वो उसे पैसे न दें। फिर वे जय ऐडनवाला के शव को फ्रीजर में छिपाते हैं और घर से ऐडनवाला की मौत के सारे सबूत मिटाते हैं। दोनों ऐडनवाला के बीमार होने का दिखावा करते हैं। आत्महत्या को हत्या में बदलने के लिए दोनों प्लान बनाते हैं। जिसके मुताबिक सुभाष खुद को ऐडनवाला के रूप में अपना चेहरा छिपाते हुए नर्सिंग होम जाने के लिए मल्लिका के साथ घर से निकलता है।
वह मल्लिका को कार में बांध देता है और बाहर निकल जाता है, ताकि ऐसा लगे कि गुंडों ने उसे फंसाया है और ऐडनवाला का अपहरण कर लिया है। सीबीआई एसीपी गोखले एडवोकेट मर्चेंट को ऐडनवाला के घर बुलाते हैं और गायब होने की रात के बारे में पूछताछ करते हैं। मर्चेंट गोखले को बताता है कि ऐडनवाला ने कोई वसीयत नहीं बनाई है। मर्चेंट तब सुभाष को बताता है कि ऐडनवाला ने एक वसीयत बनाई थी और अपनी जान बचाने के लिए उसे सुभाष को सौंप दी थी। इस जानकारी के बाद सुभाष शक के दायरे में आ जाता है। मर्चेंट को सुभाष सच सच बताता है और दावा करता है कि मल्लिका ने पूरी योजना बनाई थी। मर्चेंट फायदा उठाने का फैसला करता है और सुभाष से पावर ऑफ अटॉर्नी पर हस्ताक्षर करवाने का प्रयास करता है,जिससे मर्चेंट बीमा राशि और वसीयत दोनों को हासिल कर सके। सुभाष इससे मना कर देता है, तो मर्चेंट स्वाति को बंदूक की नोक पर ले जाता है, लेकिन तभी एसीपी गोखले के साथ पुलिस आ जाती है। सुभाष, ऐडनवाला की मौत के लिए मर्चेंट को दोषी ठहराता है। मर्चेंट अपने आप को फंसता देख सुभाष पर गोली चलाता है लेकिन तब तक गोखले मर्चेंट पर गोली चल देता है, जिससे मर्चेंट की मौत हो जाती है और किस्मत पैलेस का नया मालिक सुभाष बन जाता है । गोखले सुभाष को बधाई देता है।
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तभी मल्लिका आती है और उस विल को देती है। नाटक में जागृति कोठारी, प्रियांशु बिष्ट, जय सिंह रावत, ऋतिक सीमल्टी, हेमलता पांडेय, कृष्ण नंद ने अपनी भूमिकाओं में शानदार अभिनय किया। इससे पहले एडीशनल कमिश्नर इनकम ज्योत्स्ना देवी, पार्षद राजेश अग्रवाल, एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी, सचिव आदित्य मूर्ति जी ने दीप प्रज्वलित किया। इस मौके पर आशा मूर्ति जी, ऋचा मूर्ति जी, उषा गुप्ता जी, सुभाष मेहरा, डा. एमएस बुटोला, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा.अनुज कुमार, डा.रीटा शर्मा और गणमान्य लोग मौजूद रहे।