पब्लिक अस्पताल के डॉक्टरों के प्रयास से बची मरीज की जान ,
बरेली : डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है। इस भगवान के प्रति लोगों की आस्था तब और बढ़ जाती है जब लोग मुसीबत में होते है। ऐसा ही एक मामला पब्लिक हॉस्पिटल का है जहां चार महीने पहले एक मरीज ट्रेन एक्सीडेंट में बुरी तरह से घायल हो गया था , जिसे कुछ अस्पतालों के डॉक्टरों ने मरीज की हालत देखते हुए अपने अस्पताल में भर्ती करने से इंकार कर दिया था। तब पब्लिक हॉस्पिटल के संचालक ने मरीज के इलाज को एक चैलेंज के तौर पर लेते हुए मरीज को भर्ती करने का फैसला लिया था।
पब्लिक अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज की जान बचाने के लिए किये तीन ऑपरेशन
पब्लिक अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने मरीज की हालत को देखते हुए तीन ऑपरेशन करने का फैसला किया था। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह थी मरीज की माली हालत ठीक नहीं थी तब अस्पताल प्रबंधन ने फैसला लिया कि मरीज का परिवार उसके लिए दवाइयों की व्यवस्था करेगा और अस्पताल प्रबंधन मरीज के लिए अस्पताल में कम कीमत पर इलाज देगा और जरुरत पड़ने पर हर संभव मदद भी करेगा। अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के परिजनों से किये गए वादे के मुताबिक पिछले चार महीने से लगातार मरीज की अस्पताल में सेवा की जा रही है। यहाँ लगभग मरीज को निःशुल्क इलाज किया जा रहा है।
आर्थिक तंगी की चपेट में था मरीज
अस्पताल में भर्ती मरीज ने पप्पू ने बताया कि वह बदायूं के कुंवरपुर का रहने वाला है। वर्तमान में वह परसाखेड़ा की एक प्लाईवुड फैक्ट्री में काम करता था लेकिन एक दिन उसका ट्रेन से एक्सीडेंट हो गया ,जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसके पास इलाज के लिए पैसा भी नहीं था। उसके परिजन उसे भर्ती कराने के लिए कई अस्पतालों में ले गए , लेकिन किसी भी अस्पताल ने उसे भर्ती करने से इंकार कर दिया। इसके बाद परिजन उसे डॉक्टर एस कुमार के पब्लिक अस्पताल लेकर आये। डॉक्टर ने एस कुमार ने अपनी टीम के साथ उन्हें ठीक होने का आश्वासन दिया। लेकिन उनके पास सबसे बड़ी दिक्कत थी कि इलाज के लिए ज्यादा रकम नहीं थी। उनके कई ऑपरेशन होने थे। ऐसे में उनकी जिंदगी खतरे में थी पर डॉक्टर साहब के हर तरह के सहयोग वह लगभग ठीक हो चुके है। अभी एक ऑपरेशन होना बाकी है।
मरीज की जिंदगी बचाना डॉक्टर एस कुमार की पहली प्राथमिकता
डॉक्टर एस कुमार ने बताया कि रक्षाबंधन वाले दिन पप्पू का ट्रेन एक्सीडेंट हुआ था। उसके बचने की बहुत डॉक्टरों के साथ परिजनों को बहुत कम उम्मीद थी। मरीज के पेट पर भी गंभीर रूप से चोटें थी। सर्जन ऑपरेशन करने को तैयार नहीं थे पर उनकी रिक्वेस्ट करने पर वह मान गए। उसका परिणाम यह हुआ सभी के प्रयास सार्थक हुए , मरीज के तीन ऑपरेशन सफल रहे , आज मरीज स्वस्थ है उसका जीवन खतरे से बाहर है। एक ऑपरेशन होना और बाकी है।
उन्होंने मरीज को भर्ती करते बस यही सोचा था कि पैसा कमाने से ज्यादा उनके मरीज की जिंदगी बचाना जरूरी है। इसलिए उन्होंने मरीज से कहा था कि आप ऑपरेशन और दवाओं के खर्चे उठा लेना , अस्पताल के खर्चे उससे चार्ज नहीं करेंगे। मरीज की ओर से अभी तक ऑपरेशन के कुछ ही रुपए दिए गए है। अस्पताल को अभी तक कुछ नहीं दिया है। उनकी इच्छा है मरीज का अंतिम ऑपरेशन भी हो जाए इसके बाद मरीज अपने घर यहां से चल के जाए। डॉक्टर एस कुमार ने बताया कि वह चाहते है कि उनके पेशे की गरिमा के मुताबिक जनता के लिए पूरी ईमानदारी से काम करते रहे और चाहते है कि उनसे अपने काम में कोई गलती नहीं हो ।