ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर और मंगल को एक उग्र ग्रह बताया गया है। ये दोनों ही ग्रह शुभ होने पर जहां मनुष्य को छप्पर फाड़कर लाभ दिलाते हैं, तो वहीं अशुभ होने पर जीवन को कष्ट और परेशानियों से भी भर देते हैं। ये दोनों ही ग्रह बुरी आदतों के कारण आपको बहुत जल्दी ही खराब और परेशानियां प्रदान करते हैं। इसीलिए इन कार्यों को कभी नहीं करना चाहिए।
शनि का कलियुग का दंडाधिकारी बताया गया है। शनि देव को कर्मफलदाता और न्यायाधीश भी कहा जाता है। माना जाता है कि मनुष्य के अच्छे बुरे कार्यों के आधार पर ही शनि देव फल प्रदान करते हैं। यदि मनुष्य नेकी के रास्ते पर चलता है और अच्छे कार्य करता है तो शनि देव उसे शुभ फल प्रदान करते हैं। ऐसे लोग जीवन में अपार सफलताएं प्राप्त करते हैं। शनि इन कामों को करने से बहुत जल्द नाराज होते हैं।
मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का सेनापति बताया गया है। मंगल को साहस, युद्ध, रक्त आदि का कारक माना गया है। मंगल को ऊर्जा भी बताया गया है। मंगल जब अशुभ होता है तो व्यक्ति के स्वभाव में विशेष परिवर्तन लाता है, जिसके कारण गंभीर संकटों का सामना करना पड़ता है। इन कामों को करने से मंगल हो जाता है अमंगल।
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