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किला नदी की ब्रिटिशकालीन पुरानी पुलिया 170 वर्ष बाद आई नए स्वरूप में,   देवेश आर्य के प्रयास लाये रंग 

 

बरेली:  किला नदी के ऊपर किला ओवरब्रिज के बराबर में किला नदी की पुरानी ब्रिटिश कालीन पुलिया  वर्षों  से जीर्ण शीर्ण  हालत में पड़ी हुई थी। पुलिया की दोनो तरफ़ की सुरक्षा दीवार  टूट कर लगभग खत्म होने की कगार पर थी।पुलिया के नीचे कूड़े के का अंबार लगा हुआ था।धीरे धीरे ये अंबार कूड़े के पहाड़ का रूप लेता जा रहा था। और उस कूड़े के ढेर में आग लगा कर पर्यावरण को प्रदूषित किया जा रहा था।आग के कारण होने वाले धुएं से राहगीरों का उस पुलिया से निकलना भी मुश्किल हो गया था। तब स्थानीय नागरिक “देवेश आर्य” ने सर्वप्रथम  मुख्यमंत्री पोर्टल के माध्यम से  दिनांक 27/06/2021 को कूड़े के ढेर में आग की शिकायत एवं कूड़े का ढेर हटवाकर उक्त पुलिया की सुरक्षा दीवार की मरम्मत की मांग नगर निगम बरेली से की तो  नगर निगम ने उक्त शिकायत के क्रम में निस्तारण आख्या लगाई की कूड़ा डालने के सम्बन्ध में स्थानीय दुकानदारों को नोटिस देने की करवाई कर दी गई है।

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लेकिन  पुलिया की मरम्मत  के मामले में हाथ खड़े कर दिए और यह जानकारी दी की  पुलिया पीडब्ल्यूडी के अधिकार क्षेत्र में है।
बाद में  देवेश आर्य ने पीडब्ल्यूडी बरेली से मुख्यमंत्री पोर्टल के माध्यम से  पुलिया की मरम्मत की मांग की तो पीडब्ल्यूडी बरेली ने बिना जमीनी हकीकत जानें ,  निस्तारण आख्या लगाई  और कहा कि पुलिया हमारी नहीं है।  पुलिया से अब किसी भी तरह का यातायात नही गुजरता है। सारा यातायात किला ओवरब्रिज से निकलता है।  पुलिया की देखरेख नगर निगम बरेली के अधिकार क्षेत्र में है। इस प्रकार से दोनो ही विभागों ने गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हुए  पुलिया की मरम्मत करवाने से इनकार कर दिया था। देवेश आर्य ने  पुलिया की ऐतिहासिकता का वर्णन करते हुए ही उक्त पुलिया की मरम्मत करवाने की मांग दोनो विभागों से की थी।

 

देवेश आर्य

 

बाद में  सड़क के लिए देवेश आर्य ने जनसूचना कानून के जरिए लंबी लड़ाई लड़ी थी।उस संघर्ष के बाद कई सारे जनसूचना पत्र के बाद नगर निगम बरेली ने उक्त सड़क को अपना मानते हुऐ।मार्च 2014 को उस सड़क का निमार्ण कराया था। इसके बावजूद  नगर निगम बरेली, पीडब्ल्यूडी बरेली और ज़िला प्रशासन सबके सब उस पुलिया के इतिहास से अंजान बने हुए थे।  बता दे कि बरेली कालेज के इतिहास के पूर्व प्रोफेसर स्वर्गीय जोगा सिंह होट्ठी द्वारा बरेली के इतिहास पर लिखित पुस्तक में उस पुलिया की ऐतिहासिकता का वर्णन किया गया है।वह पुलिया 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब रूहेला सरदार खान बहादुर खान ने अंग्रेजो को बरेली से मार भगाया था।

 

उस दौरान बरेली 10 दिन तक स्वतंत्र घोषित कर दिया गया था।हारे हुऐ अंग्रेज फिर से संगठित होकर सेना लेकर दिल्ली से जब बरेली में दाखिल हुए तब दिल्ली की तरफ़ से बरेली के अंदर आने का एक मात्र रास्ता यही किला नदी की पुरानी पुलिया थी।तब उस पुलिया पर रुहेलो ने अंग्रेजी सेना को अंदर प्रवेश करने से रोक लिया था।उसके बाद उस पुलिया के ऊपर ही ब्रिटिश सेना और रुहेला सरदार खान बहादुर खान के मध्य भयंकर युद्ध हुआ था तोप तलवार बंदूके चली थीं , कितने ही सैनिक नदी में गिर का मर गए कितने ही युद्ध में मर गए।आखिर में पूरी तैयारी के साथ आए अंग्रेजो से रूहेला सेना हार गई और बरेली 10दिन की स्वतन्त्रता के पश्चात फिर से पराधीन हो गई।

 

ऐसी ऐतिहासिक महत्व की पुलिया की मरम्मत की बजाय दोनो विभाग एक दूसरे पर टालने में लगे हुऐ थे।वह भी तब जबकि शिकायतकर्ता ने उस पुलिया की ऐतिहासिकता का उल्लेख करते हुऐ ही उसकी मरम्मत की मांग की थी। हालांकि देवेश ने हिम्मत नहीं हारी , देवेश ने मामले की शिकायत सीएम के साथ संबंधित विभागों के साथ एनजीटी से की इसके बाद देवेश की मेहनत रंग लाई है |  किला पुलिया का जीर्णोद्धार भी  प्रशासन ने  भी करा दिया  है | पुलिया का नया लुक  निकलने वाले राहगीरों को बेहद पसंद आ रहा है |

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