उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की कमिश्नरी भारत की उन कमिश्नरी में शुमार रखती है , जहां आजादी के लड़ाई से जुड़ी यादें आज भी जिन्दा है | बरेली के कमिश्नरी में एक बरगद का पेड़ आज भी है जहां 257 क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया था | इसके बाद पूरे रुहेलखंड में ग़दर फैल गया | क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के घर जला दिए और उनको जान माल की हानि हुई | इतिहासकार बताते है कि जब अंग्रेजों के खिलाफ 1857 में क्रांति शुरू हुई तो इसका असर भारत के अन्य शहरों की तरह बरेली में भी दिखा | क्रांतिकारियों ने बरेली से अंग्रेजों का ना केवल कब्ज़ा हटाया बल्कि बरेली को 31 मई 1857 को आजाद घोषित कर दिया | उस समय के नवाब खान बहादुर खान ने अपनी हुकुमत चलाने के लिए मुंशी शोभाराम को वजीर ए आजम घोषित किया |
10 माह में अंग्रेजों ने बरेली पर फिर किया कब्ज़ा
अंग्रेजों और 10 माह एक फिर आमने सामने आये जहां अंग्रेजों ने 6 मई 1858 को क्रांतिकारियों को हराकर बरेली पर कब्ज़ा कर लिया | अंग्रेजों ने सभी क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया | बरेली में अंग्रेजी सरकार ने क्रांतिकारियों पर मुकदमा चलाया और खान बहादुर खां को मौत की सजा सुनाई |
खान बहादुर के साथ 257 क्रांतिकारियों को दी गई फांसी
अंग्रेजी सेना ने खान बहादुर खान को नेपाल से गिरफ्तार करके 24 फरवरी 1860 को पुरानी कोतवाली में फांसी की सजा दी साथ 257 क्रांतिकारियों को कमिश्नरी स्थित बरगद के पेड़ से लटकाकर फांसी दी गई | बाद में जिला जेल से सटी जगह पर सुपुर्द ए खाक किया गया | 15 अगस्त 1956 को खान बहादुर की मजार का निर्माण कराया गया | कमिश्नरी में अमर शहीद स्तम्भ की स्थापना
शहीदों को सम्मान देने के लिए मुलायम सरकार ने अमर शहीद स्तम्भ की स्थापना कराई | 27 फरवरी 2006 को अमर शहीद स्तंभ का लोकापर्ण तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने किया |
Share this story