बरेली।

संध्या काल में व्रतियों ने जल में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। घाटों पर “छठ मइया” के गीतों की गूंज, पूजा के मंत्रों की ध्वनि और दीपों की झिलमिलाहट ने वातावरण को अलौकिक बना दिया। महिलाएं पारंपरिक वस्त्रों में सजधजकर सिर पर डाला उठाए, छठ गीत गाते हुए पूजा-अर्चना में लीन रहीं। व्रतियों ने परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और समाज के कल्याण की कामना की। सोमवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महापर्व का समापन होगा।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना भी श्रद्धालुओं के बीच पहुंचे। उन्होंने घाटों पर पहुंचकर व्रतियों से भेंट की और उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “छठ पूजा भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जो प्रकृति और मानव के गहरे संबंध को दर्शाती है। यह पर्व केवल बिहार या पूर्वांचल की परंपरा नहीं, बल्कि अब पूरे देश में भारतीय आस्था और एकता का प्रतीक बन चुका है।”

बरेली प्रशासन ने इस अवसर पर विशेष इंतजाम किए। नगर निगम और पुलिस प्रशासन ने स्वच्छता, सुरक्षा और रोशनी की समुचित व्यवस्था की।



