मानवता और आत्मसंघर्ष की कहानी बना ‘आत्ममंथन’, बहन ने सैनिक को देकर बचाई जान

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बरेली। एसआरएमएस रिद्धिमा के प्रेक्षागृह में रविवार शाम संवेदनशील और भावनात्मक नाटक ‘आत्ममंथन’ का मंचन हुआ, जिसने दर्शकों को भावुक कर दिया। उमा भटनागर की कहानी पर आधारित और डॉ. प्रभाकर गुप्ता व अश्वनी द्वारा रूपांतरित इस नाटक का निर्देशन विनायक श्रीवास्तव ने किया।

नाटक की कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार पर केंद्रित है, जिसमें बेटा मानव सेना में जाना चाहता है, लेकिन एक दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो जाती है। सदमे में पिता की भी मृत्यु हो जाती है और मां ब्रेन ट्यूमर की शिकार हो जाती हैं। बहन मानसी अकेले पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाती है। तनाव और अवसाद के बीच, वह दिल्ली में नौकरी करती है और एक दिन स्टेशन पर अखबार में एक सैनिक के लिए B-नेगेटिव ब्लड की आवश्यकता की खबर पढ़ती है।

 

 

पहले तो सैनिकों से नफरत के चलते वह हिचकती है, लेकिन अंततः खून देकर उसकी जान बचा लेती है। बाद में पता चलता है कि उस सैनिक का नाम भी मानव है, जिससे उसे लगता है जैसे उसने अपने भाई को बचा लिया हो।

नाटक में मानसी की भूमिका मेघा सक्सेना, मां की भूमिका डॉ. सुषमा सिंह और पिता की भूमिका विनायक श्रीवास्तव ने निभाई। गौरव कार्की, सौरभ रस्तोगी, अनमोल मिश्रा, गौरिका शर्मा, दिव्यांश शर्मा आदि ने भी शानदार अभिनय किया। संजय सक्सेना सूत्रधार रहे, जबकि जसवंत सिंह (लाइट), जाफर (साउंड), सूर्यप्रकाश, अनुग्रह सिंह, सूरज पांडेय आदि ने तकनीकी सहयोग किया।

कार्यक्रम में एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देव मूर्ति, आदित्य मूर्ति, आशा मूर्ति समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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Author: newsvoxindia

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