बरेली। उर्स-ए-रज़वी की पूर्व संध्या पर दरगाह आला हज़रत का माहौल रूहानी सुगंध से महक उठा। सोमवार देर रात अजमेर शरीफ से लाई गई संदल, केवड़ा और गुलाब की नज़राना पेशकश के साथ उर्स की रस्मों का आगाज़ हुआ। इस मौके पर पहली चादर आला हज़रत के मजार शरीफ पर अदा की गई, जिसमें अजमेर शरीफ के गद्दीनशीन, दरगाह प्रमुख और सज्जादानशीनों ने शिरकत की।
दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां), सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां), अजमेर शरीफ के गद्दीनशीन सैयद सुल्तान उल हसन चिश्ती व सैयद आसिफ मियां ने मजार शरीफ को गुस्ल देने के बाद संदल, केवड़ा और गुलाब पेश किया। इसके बाद चादर और फूलों की पेशकश हुई और फातिहा के बाद अहसन मियां ने खास दुआ की।
दरगाह के प्रवक्ता नासिर कुरैशी ने बताया कि यह रूहानी महफिल उलेमा-ए-किराम की मौजूदगी में संपन्न हुई। इसमें मुफ़्ती आक़िल रज़वी, मुफ़्ती सलीम नूरी, मुफ़्ती सैयद कफ़ील हाशमी, मुफ़्ती अय्यूब नूरी, मुफ़्ती मोइनुद्दीन, मुफ़्ती सैयद शाकिर अली, कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी, मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम समेत कई उलमा और अकीदतमंद शरीक हुए।
इस दौरान देश-विदेश से आए जायरीन का कारवां भी दरगाह शरीफ पहुंचना शुरू हो गया। अकीदतमंद गुलपोशी और फातिहाख्वानी में शामिल हो रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस और नेपाल सहित भारत के विभिन्न प्रांतों—केरल, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के जिलों से बड़ी संख्या में जायरीन दरगाह पहुंच चुके हैं।
