इलाहाबाद/पीलीभीत
आरोपी के विरुद्ध कोतवाली थाना, जिला पीलीभीत में भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 85, 80(2) और 351(3) के तहत मामला दर्ज है। वह 25 जनवरी 2025 से न्यायिक हिरासत में थे। बचाव पक्ष के अधिवक्ता अर्पित अग्रवाल ने दलील दी कि मृतका ने आत्महत्या की थी, और पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी फांसी के कारण दम घुटने को मृत्यु का कारण बताती है। उन्होंने FIR में सात दिन की देरी, दहेज मांग का कोई ठोस प्रमाण न होना, और आरोपी के पत्नी के नाम जमीन खरीदे जाने जैसे तथ्यों को रेखांकित किया।
राज्य सरकार की ओर से जमानत याचिका का विरोध हुआ, लेकिन तथ्यों को नकारा नहीं जा सका। न्यायालय ने मामले के गुण-दोष में गए बिना यह मानते हुए कि आवेदक का आपराधिक इतिहास नहीं है और वह भागने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेगा, उसे सशर्त जमानत दी।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि आरोपी को प्रत्येक तारीख पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना होगा, विशेषकर मुकदमे के प्रारंभ, आरोप तय होने और धारा 313 सीआरपीसी के तहत बयान के समय। साथ ही, किसी भी गवाह को डराने, दबाव डालने या अभियोजन साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने पर जमानत रद्द मानी जाएगी।
