एक दुकान, एक परिवार, अनगिनत रिश्ते: बरेली के दीक्षित परिवार से सीखिए साथ रहने का असली मतलब

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रिपोर्ट: अनुज सक्सेना

बरेली।
जब परिवारों के टूटने की खबरें आम हो गई हैं, उस दौर में बरेली के एक संयुक्त परिवार ने मिल-जुलकर रहना और कारोबार करना क्या होता है, इसकी मिसाल पेश की है।

 

कचहरी रोड स्थित ‘मंगलम स्वीट्स’ सिर्फ मिठाइयों की दुकान नहीं, बल्कि यह एक ऐसा केंद्र है जहां रिश्तों की मिठास भी हर दिन परोसी जाती है।

28 साल पुराना स्वाद, जो आज भी ताज़ा है
दीक्षित परिवार की यह दुकान अजय कुमार दीक्षित, उनके भाई मनोज दीक्षित और राजकुमार दीक्षित की मेहनत का नतीजा है। तीनों भाई पिता स्वर्गीय विनोद दीक्षित की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, जिन्होंने 28 साल पहले इस दुकान की शुरुआत की थी। मिठाइयों की गुणवत्ता, समोसे की करारी परत और ताजे जूस का स्वाद अब बरेली की पहचान बन चुका है।

 

एक छत, एक रसोई, एक सोच
दस सदस्यों वाला यह परिवार आज भी एक ही घर में, एक ही रसोई से खाना खाता है। दुकान की कमाई भी साझा होती है, और हर फैसला मिल-बैठकर लिया जाता है। इस परिवार ने यह साबित कर दिया है कि अलग-अलग सोच को एकजुट करना नामुमकिन नहीं, अगर रिश्तों में विश्वास और त्याग हो।

 

बदलते समाज में उम्मीद की किरण
जहां एकल परिवारों की होड़ में रिश्ते पीछे छूट रहे हैं, वहीं दीक्षित परिवार ने सामूहिक जीवन का महत्व दोबारा साबित कर दिखाया है। यह परिवार सिर्फ व्यापार नहीं चला रहा, बल्कि समाज को यह संदेश भी दे रहा है कि अगर साथ चलने की भावना हो, तो हर रिश्ता टिकाऊ बन सकता है।

सीखने जैसा है यह मॉडल
बरेली का यह परिवार उन युवाओं के लिए भी प्रेरणा है जो अक्सर यह मान लेते हैं कि आधुनिकता का मतलब अकेले रहना है। दीक्षित परिवार बताता है कि परंपरा और प्रगति साथ-साथ चल सकती हैं—जरूरत है तो बस एकजुट रहने की।

 

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Author: newsvoxindia

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