बरेली । महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय परिसर स्थित पंडित राधेश्याम मिश्र कथावाचक शोधपीठ के तत्वावधान में महान कथावाचक पंडित राधेश्याम मिश्र की 135वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. के. पी. सिंह ने की, जबकि डॉ. शारदा भार्गव मुख्य अतिथि रहीं।

विशेष अतिथि के रूप में विक्रम भार्गव और संजय भार्गव मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन और संयोजन शोधपीठ की समन्वयक डॉ. अनीता त्यागी ने किया।कार्यक्रम का शुभारंभ पंडित राधेश्याम मिश्र के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ। अतिथियों ने उनके व्यक्तित्व, साहित्यिक योगदान और ओजस्वी कथावाचन परंपरा पर प्रकाश डालते हुए उन्हें भारतीय कथा–संस्कृति का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया।
मुख्य अतिथि डॉ. शारदा भार्गव, जो पंडित राधेश्याम मिश्र की पोती हैं, ने उनसे जुड़े कई संस्मरण साझा किए। उन्होंने बताया कि वे उनकी पांडुलिपियों, पुस्तकों, तस्वीरों और अन्य सामग्री को संकलित कर एक स्मृति–कक्ष स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रही हैं, ताकि छात्र और शोधार्थी उनके कार्यों से सीधे रूबरू हो सकें।
वक्ताओं ने कहा कि पंडित राधेश्याम मिश्र ने कथावाचन की नई धारा विकसित की, जिसने धार्मिक आख्यानों के साथ सामाजिक चेतना और राष्ट्रभक्ति को भी सशक्त स्वर दिया।अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कुलपति प्रो. के. पी. सिंह ने शोधपीठ की स्थापना को भारतीय कथावाचन परंपरा के अकादमिक अध्ययन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने शोधार्थियों से पंडित जी के साहित्य और सांस्कृतिक योगदान पर विस्तृत शोध करने का आह्वान किया।
समन्वयक डॉ. अनीता त्यागी ने कहा कि पंडित राधेश्याम मिश्र जन–जन के कथावाचक थे। शोधपीठ का उद्देश्य उनके विचारों को नई पीढ़ी तक पहुँचाना और कथावाचन पर केंद्रित कार्यक्रमों का निरंतर आयोजन करना है।
कार्यक्रम में डॉ. ज्योति पाण्डेय, डॉ. अजित, डॉ. आभा त्रिवेदी, कुल सचिव हरीश चंद सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे। अंत में अतिथियों को अंगवस्त्र भेंट किए गए और धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समारोह सम्पन्न हुआ।




