बरेली। शहर के स्मार्ट ऑडिटोरियम में जल्द ही प्रसिद्ध रामकथाकार पंडित राधेश्याम कथावाचक की प्रतिमा लगाई जाएगी। डीएम अविनाश सिंह ने बताया कि राधेश्याम जी की तीन प्रतिमाएं बनाई गई हैं और इनमें से एक को फाइनल करके ऑडिटोरियम में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रतिमा स्थापना को लेकर राधेश्याम जी के परिवार ने भी प्रशासन से चर्चा की है। प्रतिमा लगाने की इस प्रक्रिया को लेकर प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है। वहीं सीएम योगी ने भी राधेश्याम प्रतिमा को लगाने के संबंध में प्रशासन को निर्देशित भी किया था।

पंडित राधेश्याम कथावाचक बरेली की सांस्कृतिक पहचान और गौरव रहे हैं। उनकी ख्याति सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के लाहौर तक फैली हुई थी। इसी सम्मान का परिणाम है कि पाकिस्तान के लाहौर में उनके नाम पर सड़क मौजूद हैं। उनकी रामकथा की शैली इतनी प्रभावशाली थी कि लोग दूर-दराज़ से उन्हें सुनने आते थे।
उनकी कथा-वाचन कला ने पंडित मोतीलाल नेहरू को भी प्रभावित किया। उन्होंने राधेश्याम जी को इलाहाबाद स्थित अपने घर आमंत्रित किया था, जहाँ उन्होंने लगातार 40 दिनों तक रामकथा सुनी। साल 1922 में लाहौर में हुए विश्व धर्म सम्मेलन की शुरुआत भी पंडित राधेश्याम के ही लिखे और गाए मंगलाचरण से हुई थी।
रामकथा के साथ-साथ उन्होंने भारतीय सिनेमा में भी योगदान दिया। महारानी लक्ष्मीबाई और कृष्ण–सुदामा जैसी फिल्मों के लिए उन्होंने गीत लिखे। महामना मदन मोहन मालवीय उनके गुरु थे और पृथ्वीराज कपूर उनके घनिष्ठ मित्र। उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला भी उनके बड़े प्रशंसक रहे।
स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भी उनकी विद्वत्ता और वाणी का सम्मान करते हुए उन्हें राष्ट्रपति भवन बुलाया था, जहाँ उन्होंने 15 दिनों तक उनकी रामकथा का श्रवण किया।
स्मार्ट ऑडिटोरियम में उनकी प्रतिमा लगने से बरेली की सांस्कृतिक धरोहर को और मजबूती मिलेगी और आने वाली पीढ़ियों को उनकी महान परंपरा से जुड़ने का अवसर मिलेगा।




