21 महामानवों को अंगवस्त्र, स्मृति चिह्न और सर्टिफिकेट देकर किया गया सम्मानित
बरेली। निस्वार्थ भाव से देहदान का संकल्प लेने वाले 21 आधुनिक महर्षि दधीचियों को मंगलवार को एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में सम्मानित किया गया। ‘देह से दिव्यता तक’ शीर्षक से आयोजित इस विशेष समारोह का उद्देश्य समाज में देहदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इस महान कार्य के लिए लोगों को प्रेरित करना था।
कार्यक्रम का आयोजन एनाटॉमी विभाग की ओर से किया गया, जहां संस्थान के चेयरमैन देव मूर्ति ने सभी संकल्पकर्ताओं को अंगवस्त्र, स्मृति चिह्न और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि “देहदान मानवता की सबसे बड़ी सेवा है। यह ऐसा महादान है, जो व्यक्ति को मृत्यु के बाद भी अमर बना देता है।” उन्होंने बताया कि अब तक 87 लोग अपनी देहदान कर चुके हैं, जबकि 80 लोगों ने देहदान का संकल्प पत्र भरा है।
समारोह से पहले एमबीबीएस बैच 2025 के विद्यार्थियों ने एनाटॉमी लैब में कैडेवरिक शपथ ली और यह संकल्प किया कि वे मानव शरीर को अपनी चिकित्सा शिक्षा का प्रथम गुरु मानते हुए उसे सम्मान और गरिमा के साथ संभालेंगे।
एनाटॉमी विभाग की एचओडी डा. नमिता मेहरोत्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि “देहदान करने वालों का यह निस्वार्थ कदम मानवता की सर्वोच्च मिसाल है। इससे चिकित्सा विद्यार्थियों को बेहतर डॉक्टर बनने में मदद मिलती है।”
कार्यक्रम में डा. शंभु प्रसाद, डा. धनंजय कुमार, डा. समता तिवारी, प्रिंसिपल एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) डा. एम.एस. बुटोला और डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन आदित्य मूर्ति मौजूद रहे। संचालन डा. कंचन बिष्ट ने किया।
समारोह में सम्मानित 21 लोगों में इंजीनियर सुभाष मेहरा और उनकी पत्नी डा. उषा रानी मेहरा, शिक्षक उषा रानी सक्सेना और उनके पुत्र प्रांजल सक्सेना, डा. नूपुर गोयल, डा. लता मिश्रा, राजेंद्र अग्रवाल सहित बरेली, बदायूं और पिथौरागढ़ के अन्य समाजसेवी शामिल रहे।
इन महादानियों की प्रेरणादायक कहानियों ने कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों को भावुक कर दिया। किसी ने अपने परिजनों की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए देहदान किया तो किसी ने जीवन में ही यह फैसला लेकर समाज में नई सोच जगाई।
समापन में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि देहदान महादान है, जो न केवल चिकित्सा शिक्षा में योगदान देता है, बल्कि समाज में मानवता का सर्वोच्च संदेश भी फैलाता है।



