सेंथल के नवाब सैयद ग़ालिब अली के वंशज उर्फी रज़ा ज़ैदी बने स्वतंत्रता सेनानी परिवार कल्याण परिषद के सदस्य

SHARE:

बरेली।

सेंथल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नवाब सैयद ग़ालिब अली साहब के वंशज शाह उर्फी रज़ा ज़ैदी को अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी परिवार कल्याण परिषद, दिल्ली का सदस्य मनोनीत किया गया है। उर्फी रज़ा ज़ैदी वर्तमान में माल्टा (यूरोप) के एक निजी विश्वविद्यालय में बतौर एडमिन कोऑर्डिनेटर कार्यरत हैं।

 

उर्फी रज़ा ज़ैदी उसी गौरवशाली वंश से आते हैं, जिनके पूर्वज नवाब सैयद ग़ालिब अली तातारी ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। अंग्रेजी हुकूमत ने उनके योगदान के चलते उन्हें उनकी ही हवेली में आजीवन नज़रबंद कर दिया था। उनके बेटे नज़र अली और पोते सैयद रज़ा हैदर को अंग्रेजों ने जेल में यातनाएं देकर शहीद कर दिया, जबकि पुत्र मोहम्मद ज़फ़र और कई अन्य परिजनों को जेल में कैद रखा गया।

स्वतंत्रता संग्राम की उस गाथा को याद रखते हुए नवाब साहब के पुत्र मीर मोहम्मद ज़फ़र ने अपने पिता की इच्छा के अनुसार पट्टी गांव में शहीद खेमकरण अहिर और भोले बेलदार की स्मृति में मोहन मंदिर का निर्माण कराया था। समय के साथ यह मंदिर खंडहर हो गया, लेकिन शाह उर्फी रज़ा ज़ैदी इसके पुनर्निर्माण के लिए लगातार प्रयासरत हैं।

उन्होंने कहा कि यह स्थल न केवल एक पवित्र धार्मिक धरोहर है बल्कि देशभक्ति और सांप्रदायिक एकता का प्रतीक भी है। उनका कहना है कि प्रशासन के सहयोग से इसे फिर से एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है।

देश की एकता, अखंडता और मानवता के प्रति शाह उर्फी रज़ा ज़ैदी के योगदान को देखते हुए रूस के साइबेरियन शाही परिवार के प्रमुख क्राउन प्रिंस आईगोर सिरबिस्की ने उन्हें पेशवा बालाजी बाजीराव के वंशज नवाब शादाब अली बहादुर के साथ एक समारोह में सम्मानित किया था।

इतिहास के अध्येता शाह उर्फी रज़ै ज़ैदी सेंथल के इतिहास पर एक पुस्तक लिख चुके हैं और इन दिनों माल्टा के अरबी इतिहास पर नई पुस्तक लिख रहे हैं। यह कृति बनी अब्बास, आगालाबिद, फातिमी खलीफाओं के दौर और हिंदुस्तान के खिलाफत आंदोलन के पुरोधा हुसैन अहमद मदनीशहीदे माल्टा हकीम सैयद नुसरत हुसैन साहब के इतिहास पर आधारित है।

 

 

newsvoxindia
Author: newsvoxindia

Leave a Comment

error: Content is protected !!