गुजरात के मेहसाणा जिले के गोजरिया ग्राम पंचायत में आयोजित वित्तीय समावेशन कार्यक्रम के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया कि बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि (Minimum Balance) निर्धारित करना पूरी तरह बैंकों का निर्णय है, इस पर आरबीआई कोई सीधा नियंत्रण नहीं रखता।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि विभिन्न बैंक अपनी नीतियों के अनुसार यह सीमा तय करते हैं। कुछ बैंक इसे 10,000 रुपये रखते हैं, कुछ 2,000 रुपये, जबकि कई ग्राहकों को इससे पूरी तरह छूट देते हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में आईसीआईसीआई बैंक ने नए बचत खातों के लिए न्यूनतम औसत मासिक शेष राशि को शहरी क्षेत्रों में 10,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया है, जबकि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के लिए यह क्रमशः 25,000 और 10,000 रुपये कर दी गई है। इसके विपरीत भारतीय स्टेट बैंक ने न्यूनतम शेष राशि न रखने पर कोई पेनाल्टी न लगाने का फैसला किया है।
मल्होत्रा ने कहा कि डिजिटल साक्षरता आज के दौर में उतनी ही आवश्यक है जितनी पहले पढ़ाई-लिखाई को माना जाता था। डिजिटल ज्ञान के बिना व्यक्ति विकास की दौड़ में पीछे रह सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि नीतियां इस तरह बनाई जानी चाहिए कि समाज के सबसे निचले तबके को अधिकतम लाभ मिले। प्रधानमंत्री जन-धन योजना इसी उद्देश्य से शुरू की गई थी, ताकि हर व्यक्ति को बैंकिंग सुविधाओं तक पहुंच मिल सके।
कार्यक्रम में बैंक ऑफ बड़ौदा के सीईओ देवदत्त चंद ने भी हिस्सा लिया और जन-धन खातों के लिए ‘अपने ग्राहक को जानें’ (KYC) प्रक्रिया को समय-समय पर अद्यतन रखने पर जोर दिया।
