रौद्र रूप धारण किए रामगंगा का जायजा लेने पहुंची एसडीएम

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बैरिकेटिंग कर चार पहिया वाहनों का आवागमन कराया बंद ,हजारों वीघा फसलें जलमग्न

 

ओमकार गंगवार,
मीरगंज (बरेली)। दो दिनों से रौद्र रूप लिए रामगंगा के तेज जल प्रवाह से बरेली जनपद के मीरगंज तहसील क्षेत्र के गोरा लोकनाथपुर और कैलाश गिरी बाबा मढ़ी घाटों पर बने दोनों पुल की एप्रोच रोड लगातार कटने से मीरगंज और आंवला के मध्य सम्पर्क टूटने के कगार पर पहुंच गया है। दोनों ही जगहों पर रोड का कुछ ही हिस्सा कटने से बचा है। जिस कारण दोनों ही पुलों से चार पहिया बाहनों आवागम दोनों ही दिशाओं में बैरिकेटिंग कर बंद कर दिया गया।

 

साथ ही रामगंगा का पानी से हजारों वीघा फसलें भी जलमग्न हो गयी हैं। हालत बिगडते देख सोमवार को रामगंगा क्षेत्र का जायजा लेने हेतु उप जिलाधिकारी इशिता किशोर (आईएएस), तहसीलदार आशीष कुमार एवं कोतवाली मीरगंज के प्रभारी प्रयागराज सिंह व पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंची। और हालातों का जायजा लेते हुए दोनों रास्तों पर बैरिकेटिंग कराकर आवागमन बंद कराया। और संबंधित पुलिस और प्रशासनिक कर्मचारियों को हर स्थिति पर गौर रखते हुए लोगों की हर संभव मदद करने का निर्देश दिया।

 

बता दें कि रामगंगा के बढ़े जल प्रकोप की जद में मीरगंज तहसील क्षेत्र के गांव तातारपुर, कपूरपुर, मदनापुर, सिमरिया, सिरोधी अंगदपुर, गोरा लोकनाथपुर और गोरा हेमराजपुर, अम्बरपुर, करौरा, ठिरिया बुजर्ग, मोहम्मद गंज, श्यामपुर, हरदोई, पनबड़िया, मीरापुर, भोलापुर शंखा पुर आदि गांव आते हैं। इन गांवों के खादर इलाके में उगाई गई तिल, अरहर, गन्ना, धान, उड़द आदि फसलें पूरी तरह से जलमग्न हो गयी हैं। और यदि ऐसे ही हालात रहे तो हजारों किसान बर्बाद हो जायेंगे। यहां तक कि पशुओं को चारा तक की किल्लत पैदा हो जायेगी। फिलहाल गांव गोरा लोकनाथपुर के समीप पुल की एप्रोच रोड कटने से कुछ ही शेष बची है और ऐसा ही हाल कैलाश गिरी बाबा मढ़ी घाट पर बने पुल का है। यहां पर मदनापुर के समीप एप्रोच रोड से लगातार भयावह स्थिति पैदा कर देने वाला जल प्रवाह तेजी के साथ हो रहा है। इन मार्गोंं से दो पहिया या पैदल यात्री ही जोखिम भरा सफर तय कर रहे हैं। और फसलों में जल भराव होने से किसान बर्बादी के आंसू बहाने लगे हैं।

 

ग्रामीण बोले- वर्ष 2010-11 में इसी तरह से रामगंगा ने लिया था रौद्र रूप, हजारों वीघा फसलें हो गयी थीं तवाह

गांव गोरा लोकनाथपुर के पूर्व प्रधान बाबूराम कश्यप, गजेंद्र कश्यप, लेखराज कुमार आदि तमाम लोगों का कहना है कि विगत वर्ष 2010-11 में रामगंगा में पुल निर्माण के दौरान रामगंगा में इसी तरह से बाढ़ आयी थी और रामगंगा ने बिकराल रूप धारण करते हुए हजारों वीघा जमीन में उगाई गई फसलें तबाह करने के अलावा सैकड़ों वीघा जमीन भी कटकर रामगंगा में समा गयी थी। जिसके कारण पुल की लम्बाई बढ़ाई गई थी। लोग बताते हैं कि उसके बाद बाढ़ तो आई लेकिन ज्यादा प्रकोप नहीं दिखा।

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Author: newsvoxindia

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