“गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी वृंदावन में रास का प्रशिक्षण ले रहे छात्र-छात्राओं ने रासलीला‘भ्रमर गीत’ का दो दिन भव्य मंचन किया। मंचन देख दर्शक भाव विभोर हो गए।
डेंपियर नगर स्थित पांञजन्य प्रेक्षागृह में दूसरे दिन मंचन का उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद् के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र, पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह, उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी सतीश चंद्र, ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डॉ उमेश चन्द्र शर्मा ने दीप प्रज्जवलित किया।
रास मंचन यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण और मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के सहयोग से किया गया। “भ्रमर गीत” श्रीकृष्ण और गोपियों के विरह की लीला है। इसका निर्देशन गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश खन्ना ने किया। मंचन में नृत्य और अभिनय को खूब सराहा गया।
मंचन में प्रशिक्षु कलाकार श्रेयांश, हैरि चौटाला, कामिनी शर्मा, सुमिति भारद्वाज, तनिष्का राजपूत, जयंती त्यागी, प्रिया शर्मा, आकांक्षा शर्मा, रोशनी शर्मा, डोली ठाकुर, समीक्षा यादव, मोहिनी उपाध्याय, विनीता शर्मा, वैष्णवी शाही, चांदनी कुमारी, दीक्षा शर्मा, मोहिनी यादव, मोनिका गोला, निर्जला मिश्रा, रक्षिता द्विवेदी, वैभवी शाही और सुमन यदुवंशी ने कृष्ण-राधा और गोपियों का अभिनय किया।
मंचन में आकाश शर्मा म्यूजिक कंपोजर, मनमोहन कौशिक सारंगी पर, नंदी राम बांसुरी पर, सुनील पाल तबला पर रहे। रितु सिंह ने वस्त्र विन्यास किया, जबकि रोचना शर्मा ने कत्थक, दिव्या पाठक ने लोक नृत्य और मोहिनी कृष्ण दासी ने रासलीला प्रशिक्षण का समन्वय किया।
श्रीकृष्ण लीला पर आधारित “भ्रमर गीत” की प्रस्तुति वृंदावन निवासी कवि स्व. छैल बिहारी उपाध्याय ‘छैल’ द्वारा रचित रचना पर की गई। इसमें भ्रमर गीत के मंचन के साथ गीत, संगीत, नृत्य एवं अभिनय की सुन्दर प्रस्तुति की गयी। दोनों दिन प्रशिक्षु छात्र-छात्राओं के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। इस नृत्य नाटिका के मंचन में मथुरा और वृंदावन के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के बालक-बालिकाओं ने भाग लिया।
मंचन में पूर्व मंत्री सरदार सिंह, साहित्यकार कपिल देव उपाध्याय, कु नरेन्द्र सिंह, ब्रज कला केंद्र के सचिव दीपक गोयल, अपर नगर आयुक्त राकेश त्यागी, अनूप शर्मा, नाट्यकर्मी देवेन्द्र पाल, विनय गोस्वामी, शिवम, महेश चंद्र पांडेय, चन्द्र प्रकाश शर्मा, डॉ अनिल चतुर्वेदी, आरपी यादव, लक्ष्मी कान्त वर्मा, बच्चू सिंह आदि मौजूद रहे। संचालन गीता शोध संस्थान के कोआर्डिनेटर चन्द्र प्रताप सिंह सिकरवार ने किया।
