बरेली।दरगाह आला हज़रत से जुड़े वरिष्ठ आलिम और मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम के शिक्षक मुफ्ती अफ़रोज़ आलम
परिवार के साथ मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी उन्हें दिल्ली लेकर जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही शाम 5:56 बजे उनकी सांसें थम गईं। जैसे ही उनके इंतकाल की खबर दरगाह शरीफ पहुंची, पूरे मरकज़ ए अहले सुन्नत में गम की लहर दौड़ गई।
दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां), सज्जादानशीन बदरुशरिया मुफ्ती अहसन मियां, और मंज़र-ए-इस्लाम के प्रिंसिपल मुफ्ती आकिल रज़वी ने गहरे रंजो-ग़म का इज़हार करते हुए कहा कि “मुफ्ती अफ़रोज़ आलम का दुनिया से जाना मरकज़ ए अहले सुन्नत के लिए बड़ा नुकसान है, जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं।”
नासिर कुरैशी ने जानकारी दी कि मुफ्ती अफ़रोज़ आलम का संबंध बरेली के धौरा टांडा कस्बे से था। वे अपने इल्मी कद, सादगी, और नेक नीयती के लिए जाने जाते थे।
उनकी नमाज़-ए-जनाज़ा मंगलवार, 16 जुलाई को धौरा टांडा कस्बे में अदा की जाएगी। अंतिम दर्शन और जनाज़े में हजारों मुरीदों व अकीदतमंदों के पहुंचने की संभावना है।
