राजकुमार
बरेली ।फतेहगंज पश्चिमी कस्बे में एक सफाई कर्मचारी की रहस्यमयी मौत ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। पांच दिन पहले नगर पंचायत में कार्यरत सफाई कर्मी केहर सिंह का शव उसके किराए के मकान में पंखे के कुंडे से लटका मिला था। पहले इसे आत्महत्या का मामला समझा गया, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया – मौत फांसी से नहीं, बल्कि गला दबाने से हुई थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने बदली दिशा
13 अप्रैल, रविवार को जब केहर सिंह का शव कमरे में लटका मिला, तो दरवाजा अंदर से बंद था। पत्नी रेखा की चीख-पुकार पर आसपास के लोगों ने दरवाजा तोड़कर शव को उतारा और पुलिस को सूचित किया। शुरुआती तौर पर मामला आत्महत्या का माना गया, लेकिन परिजनों के संदेह और भाई अशोक कुमार की तहरीर पर पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया। रिपोर्ट में गला घोंटकर हत्या की पुष्टि होने पर पुलिस हरकत में आई।
पत्नी और प्रेमी गिरफ्तार
जांच में सामने आया कि मृतक की पत्नी रेखा अलीगढ़ के एक मेडिकल कॉलेज में काम करती थी, जहां उसका संपर्क कॉलेज के रसोईघर में काम करने वाले पिंटू उर्फ टिंकू से हुआ। धीरे-धीरे यह संपर्क प्रेम प्रसंग में बदल गया। केहर सिंह को जब इसका पता चला, तो उसने रेखा को मेडिकल कॉलेज जाना बंद करने को कहा। लेकिन रेखा नहीं मानी।
थाना प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार चतुर्वेदी के अनुसार, पूछताछ में रेखा ने स्वीकार किया कि 13 अप्रैल को उसने अपने प्रेमी पिंटू के साथ मिलकर पहले केहर सिंह को चूहे मारने की दवा पिलाई। इसके बाद उसकी हत्या कर दी गई। हालांकि पुलिस यह स्पष्ट नहीं कर पा रही है कि हत्या के बाद शव को कमरे के अंदर से बंद करके कुंडे से कैसे लटकाया गया।
जांच में कई पेच, पुलिस उलझन में
हत्या और आत्महत्या के बीच उलझी यह गुत्थी पुलिस के लिए अब भी एक चुनौती बनी हुई है। यदि हत्या की गई, तो कमरे का दरवाजा अंदर से कैसे बंद हुआ? क्या कोई और भी इस साजिश में शामिल था या यह पूरी योजना इतनी बारीकी से बनाई गई थी कि पुलिस भी भ्रमित हो गई?
एसपी ग्रामीण उत्तरी मुकेश मिश्रा ने कहा है कि मामले की गहराई से जांच की जा रही है और जल्द ही सच सामने लाया जाएगा।
परिवार सदमे में, मोहल्ले में दहशत
केहर सिंह के परिजन इस घटना से गहरे सदमे में हैं और दोषियों को सख्त सजा की मांग कर रहे हैं। वहीं, मोहल्ले में लोग स्तब्ध हैं कि इतने दिन साथ रहने वाला परिवार अंदर ही अंदर किस तूफान से गुजर रहा था, किसी को आभास तक नहीं हुआ।
