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सदैव हरी भरी रहती है धर्म की जड़ -आचार्य मुकेश मिश्रा

बरेली।रोहली टोला स्थित प्राचीन माहौर वैश्य धर्मशाला एवं नव दुर्गा मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय पर कथावाचक आचार्य मुकेश मिश्रा ने श्रीमद् भागवत के प्रसंगों का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि सदाचार का पालन करना ही मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है। भगवान एक है किंतु उसके रूप अनेक हैं। प्रभु घट घट में विराजमान है। भगवान की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता है। उन्होंने कहा कि धर्म की जड़ सदा हरी -भरी रहती है।परमात्मा को पाने का साधन है आचार्य ने आगे कहा कि सत्य के मार्ग पर चलने वालों की कभी हार नहीं होती। प्रेम ही परमात्मा का स्वरूप है और परमात्मा को प्रेम प्रिय है।

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परमात्मा को पाने का साधन प्रेम ही है और प्रेम को प्रकट करने के लिए परमात्मा की कथा सुनना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि अन्न का कण और संत का क्षण बहुमुल्य होता है। कथा वाचक ने कहा कि भागवत के मुख्य श्रोता हैं राजा परीक्षित, उनको श्राप के कारण श्री सुखदेवजी ने सात दिन की भागवत कथा का श्रवण कराया। राजा परीक्षित का सात दिनों के अंदर निधन हो जाता है, यानि कि सात दिन में ही मनुष्य शरीर को छोड़ता है। इसलिए मनुष्य को सातों दिन ईश्वर कीभक्ति करना चाहिए।

व्यास मंच से कई सुंदर भजन सुनाए गए जिसे सुनकर श्रोता का भाव विभोर हो उठे। इससे पहले मुख्य यजमान पवन गुप्ता ने व्यास मंच की पूजा अर्चना की। आचार्य विनीत शास्त्री ने वेद मंत्रों के साथ पूजा संपन्न कराई। इस दौरान रामेंद्र प्रसाद गुप्ता प्रदीप गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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