बरेली। शहर के एक प्रतिष्ठित परिवार ने हाल ही में मलेशिया की एक यादगार यात्रा की, जिसे उन्होंने न केवल एक पर्यटन अनुभव बल्कि एक आध्यात्मिक तीर्थ के रूप में भी अनुभव किया। 27 अप्रैल से 5 मई 2025 तक चली इस यात्रा में उन्होंने मलेशिया की प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ वहां की बौद्ध संस्कृति और शांति से भी गहरा जुड़ाव महसूस किया।
मुंबई से आरंभ, एक सांस्कृतिक पड़ाव
यात्रा की शुरुआत 27 अप्रैल को बरेली एयरपोर्ट से हुई, जहां से परिवार मुंबई पहुँचा। 28 और 29 अप्रैल को उन्होंने मुंबई में शॉपिंग और प्रसिद्ध फिल्म सिटी का दौरा किया, जहाँ से उन्हें सांस्कृतिक विविधता की झलक मिली। 29 अप्रैल की रात वे मुंबई से कुआलालंपुर के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ान में सवार हुए।
लंगकावी में प्रकृति की गोद और आत्मिक शांति
30 अप्रैल को वे लंगकावी पहुँचे, जहाँ ‘बेला विस्टा रिज़ॉर्ट’ में दो रातों तक ठहरने का अवसर मिला। समुद्र तट, स्काई ब्रिज, अंडरवॉटर वर्ल्ड और ईगल स्क्वायर जैसी जगहों की सैर ने उन्हें प्रकृति की अलौकिक सुंदरता से जोड़ दिया। लंगकावी का शांत वातावरण उन्हें ध्यान और आत्मिक संतुलन की अनुभूति कराता रहा।
कुआलालंपुर – आधुनिकता के बीच बौद्ध प्रेरणा
2 मई को परिवार कुआलालंपुर पहुँचा और ‘होटल सीलॉनज़’ में विश्राम किया। उन्होंने पेट्रोनास ट्विन टावर, केएलसीसी म्यूज़िक फाउंटेन और लिटिल इंडिया मार्केट जैसी जगहों की सैर की। लेकिन जो अनुभव उन्हें सबसे अधिक छू गया, वह था मलेशिया की बौद्ध संस्कृति और वहां का शांतिपूर्ण माहौल, जहाँ हर कोने में गौतम बुद्ध की शिक्षाओं की प्रतिध्वनि सुनाई देती है।
ध्यान, धन्यवाद और श्रद्धा के साथ समापन
4 मई को परिवार कुआलालंपुर से मुंबई होते हुए 5 मई को अपने घर लौट आया। उन्होंने इस यात्रा को “एक आत्मिक यात्रा, जिसने मन को सुकून और दृष्टिकोण को व्यापकता दी” कहकर वर्णित किया। यात्रा के अंत में उन्होंने विशेष रूप से “बुद्ध जी” को धन्यवाद देते हुए लिखा – “Thanks Buddha Ji”, जो इस बात का संकेत है कि यह यात्रा केवल स्थलों की नहीं, बल्कि आत्मा की भी थी।
