भगवान स्वरूप राठौर
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है , जिससे अपना ध्यान सबका अपनी ओर खींचा है। दरसल सिर्फ दाल नहीं खाने की जिद और मां की हल्की फटकार एक मासूम की ज़िंदगी छीन ले गई। 11 वर्षीय मासूम ने मंगलवार को घर में मामूली बात पर आत्मघाती कदम उठा लिया, जिससे पूरे परिवार में कोहराम मच गया।
मामला शीशगढ़ कस्बे का है, जहां रहने वाला मासूम अपने पिता के साथ फर्नीचर की टाल पर बैठता था। मंगलवार को वह घर पर दोपहर का खाना खाने आया, लेकिन जब उसे पसंद का खाना नहीं मिला तो उसने खाना नहीं खाया। इस पर मां ने उसे प्यार भरे डांट-फटकार में थोड़ा समझाया, लेकिन मासूम इस बात को दिल पर ले बैठा।
थोड़ी देर बाद वह चुपचाप घर की दूसरी मंजिल पर टीनशेड वाले कमरे में चला गया और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। पंखे में रस्सी बांधकर फंदा लगाते ही कमरे से खटपट की आवाज आई। जब तक घरवाले कुछ समझते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दरवाजा तोड़कर उसे नीचे उतारा गया और आनन-फानन में राजश्री अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मासूम की मौत से परिवार में मातम पसर गया। बताया जा रहा है कि मासूम अपने पांच भाइयों में तीसरे नंबर पर था और स्वभाव से बहुत भावुक था। परिजनों ने मासूम के शव को चुपचाप सुपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया। इंस्पेक्टर शीशगढ़ ने मीडिया को बताया कि घटना उनके संज्ञान में नहीं है और ना कोई सूचना मिली है। सूचना मिलते ही घटना के संबंध में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
एक मासूम की चुप्पी ने छीन ली जिंदगी…
इस घटना ने एक बार फिर ये सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर कैसे छोटी-छोटी बातों पर बच्चे इतना बड़ा कदम उठा लेते हैं? क्या हम बच्चों की भावनात्मक जरूरतों को समझने में चूक रहे हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य जितना नाजुक होता है, उतना ही ध्यान देने योग्य भी। छोटी-छोटी डांट, उपेक्षा या अस्वीकार उन्हें अंदर से तोड़ सकती है।
