नवाबों का खमीर अब बताओ मैं क्या करूं इनकी नस्ल को , जानिए आजम खान ने  यह कर किसको लिया अपने निशाने पर। 

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मुजस्सिम खान ,
रामपुर लोकसभा सीट से आजम खान के रिजाइन करने के बाद हो रहे उपचुनाव में चुनाव प्रचार तेजी पकड़ता जा रहा है। 27 माह जेल में रहने के बाद बाहर आए आजम खान भी धीरे धीरे अपनी फॉर्म में आते जा रहे हैं। रामपुर उपचुनाव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आजम खान  ने अपनी जेल का हाल सुना कर जेल में कटी एक रात की उजरत में सपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगा। साथ ही आजम खान अपने पुराने रंग में भी नजर आए,, ज्ञानवापी और नूपुर शर्मा जैसे विवादित मुद्दों से किनारा करते हुए आजम खान अपनी भड़ास रामपुर नवाबों पर निकालने में  आपत्तिजनक शब्दावली प्रयोग करने से भी नहीं चुके।

आजम खान ने अपनी स्पीच के दौरान कहा बहुत लंबी मुद्दत के बाद मैं आपके बीच में हूं अभी आदत नहीं पड़ी है इतनी बहुत सी रोशन की तकरीबन 27 महीनों तक एक ऐसे अंधेरे माहौल में रहा में रात का तसव्वुर भी डरा देता है यह हिम्मत कहां से मिली और इतना लंबा अरसा आप से जुदा होकर कैसे गुजरा वह शख्स जो सुबह से लेकर रात तक सैकड़ों और हजारों लोगों के बीच रहता हो उसको एक तन्हा कोठरी में बंद कर दिया जाए और इंसानों से बहुत दूर कर दिया जाए उसके लिए हर लम्हा मौत से ज्यादा खतरनाक था।

आजम खान ने अपनी स्पीच के दौरान कहा दुनिया के कानून बदल गए सॉलिटेरी कन्फाइनमेंट कहा जाता है इसे किसी मुजरिम को संगीन मुजरिम को दुनिया की किसी अदालत में 3 महीने से ज्यादा तनहाई में नहीं रखा जा सकता पर यह कानून उस वक्त बना जब तनहाई में रहने वाले लोगों में अपनी जेलों से निकलकर बड़े-बड़े सियासत दानों ने जिसमें  नेल्सन मंडेला का भी नाम आता है उन्होंने तन्हा जेल के तरजबात बात लिखे उसके बाद दुनिया की सबसे मोहतमिम कोम कहलाने वाली नाम निहाल अमेरिका और बरतानिया तक ने इस कानून को बदल दिया और यह कानून बना चाहे मुलजिम कितना ही संगीन जुर्म किए हुए क्यों ना हो कितनी ही बड़ी सजा क्यों ना हो उसे 3 महीने से ज्यादा उसे तन्हा नहीं रखा जा सकता लेकिन दुनिया के क़वानीन एक तरफ अखलाक की जिम्मेदारी एक तरफ दस्तूर ए हिंद जिसकी पास गारी के लिए हम सब 23 तारीख को फैसला लेने वाले हैं उसकी जरा भी पास गारी नहीं की गई और हिफाजत के नाम पर सेक्रेटरी के नाम पर यह कहते हुए कि कोई मुझे मार ना दे इसलिए मुझे अति सुरक्षा के नाम पर अकेली कोठरी में रख दिया गया यह तकलीफे क्यों मिली मुझे यह मेरा इम्तिहान नहीं था मेरे किए हुए की सज़ा थी।

आजम खान ने कहा नवाबजादा जुल्फिकार अली खान जिन की औलादे अपने आप को नवाब लिखती हैं जो 3000 वोट पाते हैं इससे ज्यादा तो रामपुर में हिजड़े होंगे जितना वोट उन्हें मिला है ते हुआ के हिजड़ों का वोट भी नहीं मिला मगर नवाब हैं इसलिए  नवाब है कि हामिद मंजिल में एक तरफ नाचने वाली नाचती थी और एक तरफ हमारा नवाब नाचता था नाचने वाली बेहोश होकर गिर जाती थी हमारा नवाब फिर भी नाचता था किसी ने नहीं सुनाई होंगी यह बातें यही है हमारा गुनाह। अकेला था नवाब पूरी दुनिया का जिसका एक घुंगरू बचता था किसी तवायफ के अदर यह हिम्मत नहीं थी के उसके  पायल का एक घुंगरू बचता हो लेकिन हमारे नवाब की पायल का एक घुंगरू बचता था इतना बड़ा फनकार था मगर हमारा नवाब था वह सरकार थे हमारे वे हुजूर थे हमारे उनकी नस्लों को हिजड़ों का वोट भी नहीं मिला वह मशवरा देते हैं रामपुर वालों को वह मुखबिरी करते हैं तुम्हारी, तुम्हारी तकदीर के दुश्मन है वे एक ही घर में पंजे के लिए भी वोट मांगा जाता है और एक ही घर में कमल के फूल के लिए भी वोट मांगा जाता है बाप पंजा और औलाद कमल का फूल यह है नवाबों का खमीर अब बताओ मैं क्या करूं इनकी नस्ल को।

आजम खान ने कहा अभी तो मैं जमानत पर हूँ बरी नहीं हुआ मेरे ऊपर और मेरे अपनों पर सैकड़ों और हजारों मुकदमे हैं मुर्गी चोरी का नहीं है मुर्गी डकैती का मुकदमा है जो दफाएं लगाई गई है वह डकैती की है चोरी की नहीं है हमारे मुखालिफ ने हमारा मेंयार बहुत हल्का रखा किताबों की चोरी, फर्नीचर की चोरी, अरे मुकदमा ही लिखवाना था तो कम से कम ताजमहल, क़ुतुब मीनार चोरी का लिखवा थे।
आजम खान ने कहा सुनो मेरी पार्लिमेंट की पहली तकरीर शायद वह भी मेरी सज़ा का सबब बनी उसमें मैंने दावा किया था इस मेडिकल कॉलेज में 8 ऑपरेशन थिएटर हैं और न्यूयॉर्क में भी उससे अच्छा ऑपरेशन थिएटर नहीं होगा मैंने कहा था यह और यह रिकॉर्डेड तकरीर है आज वे बंद पड़ा है सब कुछ चोरी हो गया वहां से यह किस का नुकसान हुआ यह नेशनल लॉस हुआ यह मुजरीमाना अमल था वहां गरीबों का इलाज होता था और आने वाले जमाने में न जाने कितना रिसर्च का काम होता मैं आज भी हुकूमत से मुतालबा करता हूं मैं वजीरे आजम साहब से अपील करता हूं मैं होम मिनिस्टर साहब से कहना चाहता हूं आपके वास्ते से के पहले नंबर पर आपने मुझे माफिया कहा पहले नंबर का माफिया यूनिवर्सिटी का फाउंडर सीबीएसई स्कूल का बनाने वाला जिसके ऊपर कभी 323 का मुकदमा नहीं हुआ वह 2 महीने के अंदर हिंदुस्तान का सबसे बड़ा माफिया बना दिया उसके माथे पर कभी ना मिटने वाला कलंक लगाया लेकिन हुकुम तो मालिक का था जरिया सुप्रीम कोर्ट बनी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मेरे चेहरे पर लगी हुई कलंक के तमाम दाग धो दिए और यह साबित कर दिया अदालत ने अदालत उजमा ने साबित कर दिया सुप्रीम कोर्ट की अदालत के बाद जमीन पर और कोई अदालत नहीं है फिर मरने के बाद अल्लाह की अदालत है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 3 जजेस की बेंच ने कहा मेरे साथ बहुत ज्यादाती हुई है |

जज साहब ने कहा एक या दो मुकदमे तो सच्चे हो सकते हैं लेकिन 90 मुकदमे सच्चे नहीं हो सकते मुझे माफिया कहने वालों सुप्रीम कोर्ट ने आईना दिखाया है अब मुझ पर बचे हुए और जुल्म वह इसलिए नहीं कर सकोगे कि अब शायद ना तुम में जुल्म करने की और सकत बाकी रहेगी और शायद मेरे अंदर बर्दाश्त की सकत बाकी नहीं रहेगी। आजम खां ने कहा दोस्तों याद रखना कलंक की इंतहा होती है लेकिन कभी जुल्म की इंतेहा नहीं होती है कलंक की क्या इंतेहा है किसी 302 के मुलजिम को फांसी का हुक्म हो जाए राष्ट्रपति को अधिकार है कि उसे माफ कर दे 302 के मुलजिम को माफ कर दिया जाएगा और वे आजाद जिंदगी गुजारेगा यह दुनिया की एक ऐसी रीत है के जिससे बड़ा कलंक कोई नहीं हो सकता लेकिन जुर्म एक उंगली काट कर फेंक दी जाए दूसरी काट कर फेंक दी जाए हाथ काट कर फेंक दिया जाए तड़प तड़प कर मरने के लिए महीनों और बरसो मजबूर किया जाए ऐसा ही कुछ तरीका हमारे साथ इख़्तियार किया गया और यह साबित करता है कलंक की इंतेहा होती है लेकिन जुल्म की कोई इंतहा नहीं होती है जुल्म का को म्यार नहीं होता है।

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Author: newsvoxindia

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