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बरेली। खगोलीय दृष्टि से 2021 बेहद महत्वपूर्ण है। चंद्रग्रहण के बाद वर्ष का पहला सूर्यग्रहण 10 जून को लगेगा। सूर्यग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा। इसलिए सूतक और ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं होगा। 10 जून को ही शनि जन्मोत्सव, वट सावित्री व्रत और अमावस्या पड़ रही है। भारत में ग्रहण का प्रभाव नहीं होने के कारण व्रत त्योहार करने में कोई रोक टोक नहीं रहेगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा के मुताबिक 15 दिनों के अंदर ग्रहण की दो घटनाएं प्राकृतिक उथल-पुथल की वजह बन रही है। ज्योतिष में 15 दिन के अंदर दो ग्रहण लगना अशुभ माना जाता है। इसकी वजह से प्राकृतिक आपदाएं बढ़ सकती हैं। इस ग्रहण का असर दुनिया भर में भारत के अलावा नजर आएगा। 26 मई के चंद्रग्रहण के बाद इतनी कम अवधि में सूर्यग्रहण को अनिष्टकारी माना जाता है। दुनियाभर में भूस्लखन और भूकंप की घटनाओं में भी बढ़ोत्तरी हो जाएगी। वृष राशि में स्थित राहु की दृष्टि मकर पर होने से प्राकृतिक आपदाओं से अचानक किसी नए रूप में महामारी का डर बना रहेगा।
चार दिसंबर को साल का दूसरा सूर्यग्रहण : वर्ष 2021 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण चार दिसंबर को लगेगा, जो एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भी अंटाकर्टिका, दक्षिण अफ्रीका, अटलांटिक के दक्षिणी भाग, आस्ट्रेलियया और दक्षिण अमेरिका में ही नजर आएगा।
तीन मिनट 48 सेकेंड तक रहेगी वलयाकर स्थिति : पंडित मुकेश मिश्रा के मुताबिक 10 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहरण दोपहर एक बजकर 42 मिनट पर शुरू होगा और शाम छह बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा। लगभग पांच घंटे के इस ग्रहण में तीन मिनट 48 सेकेंड तक वलयाकर स्थिति बनी रहेगी। ग्रहण मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया में आंशिक व उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण का प्रभाव वृषभ राशि और मृगाराशि नक्षत्र में सबसे ज्यादा दिखेगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा।
